'स्क्रीन टाइम लेस, ऑनली स्माईली फेस
आगरा। दरअसल अभी तक ऑनलाइन क्लास के चलते बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया था, इससे कई बच्चों में आंखों की समस्या भी होने लगी थी। बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन आया था। शिक्षकों और परिजनों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चों में फोन की लत लग गई थी। पढ़ाई के अलावा बच्चे मोबाइल फोन गेम और वीडियो देखने में व्यस्त रहते थे लेकिन अब स्क्रीम टाइम हटने से आंखों राहत मिली है, स्क्रीन टाइम बढऩे से अक्सर आंखों में जलन और पानी आने की कंप्लेन मिल रही थी।
पढ़ाई के साथ फिजिकल एक्टिविटी
कोविड संक्रमण के चलते पिछले दो वर्ष से स्कूल बंद चल रहे थे। जिसमें बच्चों को स्कूल में रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प दिया गया था, वहीं उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी कम हो गई थी। स्कूल खुलने पर परिजनों ने भी बच्चों को मोबाइल फोन देना बंद कर दिया है। स्कूल ओपन होने से पढ़ाई के साथ बच्चे फील्ड में दौड़ लगा रहे हैं, इससे पहले की तरह उनके व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है।
पॉजीटिव नेचर से पेरेंट्स को राहत
साइकोलॉजिस्ट डॉ। पूनम तिवारी बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों की आदत इतनी बिगाड़ दी थी कि यदि उन्हें मोबाइल फोन न मिले तो वह चिड़चिड़े हो जाते थे। स्कूल खूलने के बाद बच्चों की इस आदत में परिवर्तन दिख रहा है। बच्चों के व्यवहार में आ रहे पॉजीटिव नेचर चेंज से पेरेंट्स ने भी राहत की सांस ली है।
पिं्रसिपल प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल याचना चावला ने कहा कि स्कूल में विशेष तौर पर छोटे बच्चों को खुला माहौल दिया जा रहा है। कोरोना काल में दो साल में हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए स्टूडेंट्स को पिछली क्लास के सिलेबस की भी प्रैक्टिस करवाई जा रही है। इससे उनकी नींव मजबूत होगा। वहीं प्रोजेक्टर, डिजिटल क्लास रूम और इंटरनेट के जरिए भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।