'मेरे पास आरटीआई का जवाब देने का समय नहीं था'
आगरा(ब्यूरो)। सूचना न देने पर इस साल सबसे ज्यादा आर्थिक दंड ग्राम्य विकास विभाग पर लगाया गया है। पिछले साल सबसे ज्यादा दंड वाले विभागों में माध्यमिक शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग थे।
900 केस की सुनवाई की
आगरा में जनसुनवाई के लिए आए राज्य सूचना आयुक्त ने पांच दिन की जनसुनवाई में लगभग 900 वादों की सुनवाई की। शुक्रवार को जनसुनवाई के अंतिम दिन राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने प्रेसवार्ता में बताया कि मथुरा के जिला युवा कल्याण अधिकारी अशोक तिवारी से वादी चौधरी हरपाल ने दो बार एक ही जानकारी मांगी। सवाल था कि विभाग द्वारा वर्ष में एक बार कराए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में कितना खर्च होता है। दोनों बार ही विभाग द्वारा जानकारी नहीं दी गई। गुरुवार को आयुक्त ने अधिकारी को बुलाया और पूछा कि जानकारी क्यों नहीं दी गई। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि समय नहीं मिला। शुक्रवार को भी इसी जानकारी के बारे में फिर पूछा तो अधिकारी से जवाब मिला कि कार्य में व्यस्त रहा। लचर जवाब से असंतुष्ट आयुक्त ने अशोक कुमार तिवारी पर दो दिन में 25-25 हजार रुपए जुर्माना लगाया। आयुक्त ने बताया कि हर दिन लगभग 200 और पांच दिन में लगभग 900 वादों की सुनवाई की गई। उन्होंने कहा कि आगरा में अलीगढ़ मंडल से ज्यादा आरटीआई लगती हैं लेकिन सूचनाएं आगरा के विभाग ही ज्यादा देते हैं। सबसे ज्यादा आरटीआई राजस्व, बिजली, नगर निगम, ग्राम विकास विभाग में आती हैं।
आयुक्त ने बताया, राजस्व और पुलिस विभाग व्यावहारिक कठिनाइयों की वजह से आमतौर पर कम जवाब कम देते हैं। राजस्व विभाग ज्यादा ढिलाई करता है। पुलिस विभाग से एक बार एटा से संबंधित 1997-98 की जानकारी मांगी गई। जवाब मिला, इतना पुराना रिकॉर्ड मिलना मुमकिन नहीं है।
अलीगढ़ में लगा ज्यादा दंड
अलीगढ़ मंडल में पिछले साल 44 और इस साल 42 दंड लगाए गए हैं। कुल 21.50 लाख रुपए का आर्थिक दंड लगा है। आगरा मंडल में पिछले साल 42 और इस साल 20 दंड लगाए गए हैं, कुल 15.50 लाख रुपए का आर्थिक दंड है। कुल 36 लाख रुपए का दंड बना है। इस साल आगरा में ग्राम्य विकास विभाग पर छह, आगरा विकास प्राधिकरण पर चार, खाद्य, राजस्व व माध्यमिक शिक्षा पर दो-दो और ऊर्जा, बेसिक शिक्षा, आवास एवं शहरी व गृहकर विभाग पर एक-एक दंड लगाया गया है, जबकि पिछले साल माध्यमिक शिक्षा व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर छह-छह तथा ऊर्जा, पंचायती राज व राजस्व पर पांच-पांच, उच्च शिक्षा, नगर विकास पर दो-दो, बेसिक शिक्षा व स्टांप एवं निबंधन पर एक-एक दंड लगाया गया था।
आयुक्त ने बताया कि आरटीआई लगाने में ग्रामीण, शहरवासियों के मुकाबले ज्यादा सक्रिय व जागरूक हैं। एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण 60 और शहरी 40 प्रतिशत आरटीआई विभिन्न विभागों में लगाते हैं। हालांकि वे तकनीकी रूप से अभी ज्यादा सक्रिय नहीं हैं लेकिन यह प्रतिशत भी अब बढ़ रहा है। पोर्टल पर भी शिकायतें पहुंच रही हैं।