रेड लाइट एरिया माल का बाजार में रहने को मजबूर हैं 350 परिवार
आठ से दस घरों में चलता है जिस्म का कारोबार, परेशान हैं फैमिलीज
आगरा। यहां गृहस्थी रहती है, ऊपर आना मना हैकश्मीरी बाजार स्थित माल का बाजार में घर के मुख्य दरवाजों पर लिखे ये शब्द भले ही देखने में अजीब लगें, लेकिन इन शब्दों को लिखने की मजबूरी उन लोगों की है जो दशकों से यहां रह रहे हैं। दरअसल, माल का बाजार शहर का रेड लाइट एरिया है, जहां जिस्मफरोशी का कारोबार कई दशकों से चला आ रहा है। लेकिन, यहां रहने वाली फैमिलीस इस कारोबार के बीच में रहकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। पुराने शहर में रेड लाइट एरियापुराना शहर स्थित कश्मीरी बाजार में कुछ क्षेत्र माल का बाजार कहलाता है। यह क्षेत्र का सबसे पुराना रेड लाइट एरिया कहा जाता है। जिस्म फरोशी का कारोबार कई दशक पुराना है। यहां रहने वाले 72 वर्षीय असलम का कहना है कि उनके वालिद बताते थे कि मुगलकाल में इस बाजार को आबाद किया गया था। बाद में इसे देहव्यापार करने वालों ने कारोबार से जोड़ लिया। यहां आठ-दस घरों में जिसम का कारोबार किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोग यहां पर फैमिली वाले रहते हैं। एक पुरानी कहावत के अनुसार एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है, कुछ ऐसा ही हाल यहां परिवार को लेकर रहने वाले लोगों का है। आठ-दस घरों में चल रहे जिस्म के कारोबार से सबसे ज्यादा परेशानी इन्हीं फैमिलीज को हो रही है।
हर दस्तक पैदा करती है डर माल का बाजार में रहने वाले परिवार जिस्म के कारोबार के कारण परेशान हैं। घर के दरवाजे पर होने वाली दस्तक इनके अंदर डर पैदा कर जाती है। दरवाजे पर दस्तक होने के बाद घर आने वाले अजनबियों का स्वागत गालियों से किया जाता है, इतना ही नहीं जरूरत पड़ने लाठी-डंडे भी मारे जाते हैं। यहां रहने वाले लोग घरों के दरवाजे पर 'यहां गृहस्थी रहती है, ऊपर आना मना है' लिखने को मजबूर हैं। करीब साढ़े तीन सौ हैं फैमिलीमाल का बाजार में करीब साढ़े तीन सौ परिवार रहते हैं। लेकिन, आठ-दस घरों में चलने वाले जिस्मफरोशी के कारोबार के कारण इनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कोठों के बराबर में रहने वाले परिवार दशकों से इस स्थिति का सामना करने को मजबूर हैं। अनजान लोगों का प्रवेश वर्जित है और अगर कोई जबरदस्ती करता है तो उसके साथ मारपीट तक की जाती है। लोगों का कहना है कि परिवार में बच्चे जब पूछते हैं कि हम घर आने वालों को ऐसे क्यों मारते हैं तो उन्हें समझाना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब बच्चे भी उनका साथ देते हैं।
सोमवार को रहती हैं घरों में कैद कश्मीरी बाजार में सोमवार को बाजार बंद रहता है। यहां रहने वाली महिलाएं इस दिन घरों में कैद रहती हैं। इसका प्रमुख कारण ये है कि बाजार बंद होने के कारण जिस्म फरोशी में लिपत लोगों की खासी भीड़ कोठों पर लगी रहती है। किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए लोगों अपने घरों के दरवाजे पर ताले लटका देते हैं। जिस्मफरोशी के लिए आने वाले बाहरी लोग ताला लटका देख दूसरी ओर चले जाते हैं। स्थानीय महिला फिरदोश ने बताया कि शाम ढलते ही यहां महफिलें लग जाती हैं। कुछ परिवार तो ऐसे हैं जो कि हमेशा ताला लगाकर ही रहते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर हैं परिवारमाल का बाजार में अधिकतर रहने वाले परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं। नीचे मार्केट और ऊपर मकान बने हैं। यहां रहने वाली महिला नजमा का कहना है कि अगर यहां से अच्छा कोई विकल्प मिलता तो वह इस घर को छोड़ देंगें। क्योंकि, बेटियां बड़ी हो रही हैं। उनकी स्कूल, कॉलेज की सहेलियां भी उनसे यहां मिलने नहीं आती हैं। अक्सर बेटियां अपने मां से पूछती हैं कि आखिर क्यों उनके माता-पिता अपने बच्चों को हमारे घर नहीं भेजते। इस सवाल का जवाब भी उनके पास नहीं होता। परिवारों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है।
पुलिस जान कर भी बनती है अनजान रेड लाइट इलाके में कोठों की जानकारी पुलिस को नहीं है, जबकि हर आने जाने वाला व्यक्ति या शहर में रहने वाले लोग इस इलाके की सच्चाई से वाकिफ हैं। दो दिन पहले ही पुलिस ने यहां से जिस्म का कारोबार कर रहे 32 लड़कियों और 11 लड़कों को छापा मारकर पकड़ा है। कई बार कम उम्र के किशोर व स्कूली छात्रों को भी यहां देखा गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कारईवाई के बाद ही कोठे बंद रहते हैं, जबकि आम दिनों में यह गुलजार रहते हैं। वर्जन रेड लाइट एरिया में छापामार कार्यवाई के बाद कोठों को पूरी तरह बंद कर किया गया है। इसके बाद भी अगर किसी प्रकार की जानकारी मिलती है तो तत्काल कार्यवाई की जाएगी। अब्दुल कादिर, सीओ कोतवाली