आगरा. जल अनमोल है इसका कोई मोल नहीं है. लेकिन आज के दौर में प्रकृति के दोहन के कारण वाटर क्राइसिस तेजी से बढ़ रही है और पीने के पानी के लिए लोगों को कीमत चुकानी पड़ रही है. बोतल बंद पानी ने अनमोल पानी का मोल लगा दिया है. आगरा में हर घर में बोतल बंद पानी पिया जा रहा है. लोगों की मजबूरी है कि वह धरती से निकलने वाला पानी और पाइपलाइन से आने वाले पानी को नहीं पी सकते हैैं. रोजाना बोतल बंद पानी खरीदने से आगराइट्स का घर खर्च भी बढ़ा है.

खर्च होते हैैं रुपए
आगराइट्स को अनमोल पानी का मोल चुकाना पड़ रहा है। आवास विकास निवासी शकुंतला बताती हैैं कि उनके घर पर पाइपलाइन से पानी की सप्लाई तो आती है। लेकिन उस पानी को पी नहीं सकते। इस कारण पीने के लिए 25 रुपए की पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है। रोजाना घर में दो बोतल का खर्च है। इस तरह से महीने में 60 बोतल की खपत हो जाती है। पानी का हर महीने का खर्च ही 1500 रुपए हैैं। यह गैस से भी अधिक पड़ता है। लेकिन मजबूरी है, पानी तो पीना ही पड़ेगा।

शहर में जगह-जगह आरओ प्लांट
वो कहते हैैं कि आपदा को अवसर में बदल दो। शहर में आरओ प्लांट कारोबारियों ने जल संकट की आपदा को अवसर में बदला है। आगरा में जगह-जगह पर आरओ प्लांट खुल गए हैैं। यहां से घर-घर में पानी की सप्लाई होती है। पानी का कारोबार भी आगरा में खूब फला-फूला है। शहर में दो हजार से अधिक पानी के प्लांट हैैं। अनुमान के मुताबिक तीन लाख से अधिक पानी की बोतल आगरा में सप्लाई हो जाती हैैं।

300 करोड़ का पानी का कारोबार
एक अनुमान के मुताबिक आगरा शहर में पानी का कारोबार करीब 300 करोड़ रुपए सालाना का कारोबार है। ब्रांडेट कंपनियों कारोबार इससे अलग है। आरओ प्लांट घरों तक पानी पहुंचाते हैैं। इनमें से केवल 15 परसेंट ही रजिस्टर्ड हैैं।

आरओ प्लांट से हो रहा पानी का दोहन
जिले में 15 में से 12 ब्लॉक डार्क जोन में हैं। शहरी क्षेत्र में भी यमुना पार गंभीर जलसंकट से जूझ रहा है, तो अन्य क्षेत्र भी पानी के किल्लत से जूझ रहे हैं। भूगर्भ जल विभाग ने पिछले दिनों अभियान चलाया था। इसके बाद प्लांट संचालकों ने भी मोर्चा खोल दिया था। उनका कहना था कि वर्षो पुराने व्यापार को प्रभावित किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को शांत कराया था और मानक पूरे करने के लिए कहा गया था। भूगर्भ जल विभाग द्वारा अनावश्यक दोहन को रोकने के लिए फ्लो मीटर लगवाए गए थे। लेकिन बाद भूगर्भ जल विभाग भी औपचारिकता पूरी कर शांत बैठ गया था। भूगर्भ जल के अति दोहन के कारण जलस्तर गिरता जा रहा है। शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र भी इससे बुरी तरह प्रभावित हैं। पिछले दिनों शहर में 40 से ज्यादा स्थानों पर लगाए गए पीजोमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक 97 फीसद स्थानों पर भूजल में गिरावट दर्ज की गई है। ग्रामीण क्षेत्र में भी वर्षा जल संरक्षित नहीं होने पानी से गिरावट आई है।


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- 2500 आरओ प्लांट हैं शहर में
- 3 लाख बोतल सप्लाई होती हैं रोज
- 20 लीटर पानी आता है एक बोतल में
- 1 करोड़ लीटर भूजल दोहन रोज होता है
- 300 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार है पानी का

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इन क्षेत्रों में गिरा भूजल स्तर
अमरपुरा, केके नगर, कमला नगर, तोरा, बल्केश्वर, बोदला, सिकंदरा, दौरेठा, आवास विकास कॉलोनी, दयालबाग, शाहगंज आदि क्षेत्रों में भी भूगर्भ जलस्तर में एक से तीन मीटर की गिरावट दर्ज की गई है।


पीने के पानी के लिए बोतल खरीदनी पड़ती है। इससे हर महीने पीने के पानी का खर्च का बोझ भी बढ़ता है।
- शिवम, पब्लिक

ग्राउंड वाटर का पानी खारी है। यह पिया नहीं जाता है। इसलिए नजदीक के आरओ प्लांट से पानी लाते हैैं।
- रामप्रवेश, पब्लिक

पीने के पानी को लेकर आगरा में काफी क्राइसिस है। इस कारण हमें पीने के पानी को खरीदना पड़ता है।
- विष्णु वर्मा, पब्लिक

अनाधिकृत रूप से चल रहे आरओ प्लांट पानी की बर्बादी कर रहे हैैं। जल शोधन में 60 परसेंट तक पानी बर्बाद हो जाता है।
- नम्रता सिंह, असिस्टेंट जियोफिजिसिस्ट

Posted By: Inextlive