1478 मी. लम्बी चादर से सतरंगी हुआ ताजमहल
आकर्षण का केंद्र बनीं चादर
उर्स में पहले दिन गुस्ल की रस्म हुई थी। दूसरे दिन शनिवार को संदल चढ़ाया गया था। तीसरे दिन सुबह कुल की रस्म हुई। कुरान की तिलाबत की गई। इसके बाद चादर व पंखे चढ़ाने की शुरुआत हुई। पहली चादर उर्स कमेटी की ओर से चढ़ाई गई। उर्स में आकर्षण का केंद्र रहने वाली खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की सतरंगी ङ्क्षहदुस्तानी चादर धर्मगुरुओं की अगुवाई में हनुमान चौक, ताजगंज से ताजमहल के लिए शुरू की गई। दोपहर लगभग 3:15 बजे ताजमहल पश्चिमी गेट से यह स्मारक के अंदर पहुंची। यहां से उसे दक्षिणी गेट तक ले जाया गया। वहां से चादर को लेकर लोग आगे बढ़े। इसका एक सिरा दक्षिणी गेट पर और दूसरा मुख्य मकबरे पर था। शाम ढलने तक चादरपोशी का सिलसिला चलता रहा।
एएसआई ने चढ़ाई चादर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ। राजकुमार पटेल और अन्य अधिकारियों ने दोपहर में चादरपोशी की। तहखाना स्थित शाहजहां व मुमताज की मुख्य कब्र और ऊपर बनी कब्रों की प्रतिकृति पर फूलों की चादर चढ़ाई। अमरनाथ गुप्ता, गुलाबचंद दीक्षित, राजकुमार कपूर समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे। विजय कुमार जैन ने चादरपोशी कराई। ताजगंज डवलपमेंट फाउंडेशन के प्रेसिडेंट नितिन ङ्क्षसह, शबाना खंडेलवाल, हाजी आसिम मिर्जा बेग, सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी, आरिफ तैमूरी आदि मौजूद रहे। फोरकोर्ट में दक्षिणी गेट के नजदीक बैरिकेडिंग लगाकर लंगर बांटा गया। मुख्य मकबरे पर कव्वालों ने कलाम पेश किए और रॉयल गेट पर शहनाई गूंजती रही।