यरूशलम क्यों है दुनिया का सबसे विवादित स्थल?
अमरीकी अधिकारियों को कहना है कि हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप तुरंत ही अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम नहीं ले जाएंगे।मध्य-पूर्व के अरब नेताओं का कहना है कि ऐसा करना मुसलमानों को उकसाना होगा और इससे मध्य पूर्व के हालात बिगड़ जाएंगे।इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के पवित्र शहर यरूशलम को लेकर विवाद बहुत पुराना और ग़हरा है।
इसे ही हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है। ईसा मसीह का मक़बरा सेपल्कर के भीतर ही है और माना जाता है कि यहीं से वो अवतरित भी हुए थे।इस चर्च का प्रबंधन ईसाई समुदाय के विभिन्न संप्रदायों, ख़ासकर ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पैट्रियार्केट, रोमन कैथोलिक चर्च के फ्रांसिस्कन फ्रायर्स और अर्मेनियाई पैट्रियार्केट के अलावा इथियोपियाई, कॉप्टिक और सीरियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च से जुड़े पादरी भी संभालते हैं।
दुनियाभर के करोड़ों ईसाइयों के लिए ये धार्मिक आस्था का मुख्य केंद्र हैं। हर साल लाखों लोग ईसा मसीह के मक़बरे पर आकर प्रार्थना और पश्चाताप करते हैं।मस्जिद की कहानी?
ज़ाहिर तौर पर फ़लस्तीनियों का नज़रिया इससे बिलकुल अलग है। वो पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के रूप में मांगते हैं। इसराइल-फ़लस्तीन विवाद में यही शांति स्थापित करने का अंतरराष्ट्रीय फ़ॉर्मूला भी है।इसे ही दो राष्ट्र समाधान के रूप में भी जाना जाता है। इसके पीछे इसराइल के साथ-साथ 1967 से पहले की सीमाओं पर एक स्वतंत्र फ़लस्तीनी राष्ट्र के निर्माण का विचार है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में भी यही लिखा गया है।यरूशलम की एक तिहाई आबादी फ़लस्तीनी मूल की है जिनमें से कई के परिवार सदियों से यहां रहते आ रहे हैं। शहर के पूर्वी हिस्से में यहूदी बस्तियों का विस्तार भी विवाद का एक बड़ा का कारण है। अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत ये निर्माण अवैध हैं पर इसराइल इसे नकारता रहा है।अंतरराष्ट्रीय समुदाय दशकों से ये कहता रहा है कि यरूशलम की स्थिति में कोई भी बदलाव शांति प्रस्ताव से ही आ सकता है। यही वजह है कि इसराइल में दूतावास रखने वाले सभी देशों के दूतावास तेल अवीव में स्थित हैं और यरूशलम में सिर्फ़ कांसुलेट हैं।लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ज़ोर दे रहे हैं कि वो अपने दूतावास को यरूशलम में स्थानांतरित करना चाहते हैं। ट्रंप का कहना है कि इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच शांति के अंतिम समझौतों के तौर पर ऐसा कर रहे हैं।
वो दो राष्ट्रों की अवधारणा को नकारते हैं। ट्रंप कहते हैं कि मैं एक ऐसा राष्ट्र चाहता हूं जिससे दोनों पक्ष सहमत हों।