अमरीका ने थाईलैंड में सेना के तख्ता पलट किए जाने के बाद थाईलैंड को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी है और सेना से नागरिक शासन फिर से बहाल करने की मांग की है.


अमरीकी विदेश मंत्रालय ने देश को दी जाने वाली 105 लाख डॉलर की मदद में से 35 लाख डॉलर की मदद रोक दी है.अमरीका ने पर्यटकों से अपनी यात्रा रद्द करने की अपील की है और अमरीकी अधिकारियों के ग़ैरज़रूरी दौरे टाल दिए हैं.यह फ़ैसला उस वक़्त आया है, जब पूर्व प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनवात्रा सैन्य हिरासत में एक रात गुज़ार चुकी हैं.नज़रबंदशुक्रवार को उन्हें देश की कई राजनीतिक हस्तियों के साथ सत्ता पर अपनी पकड़ मज़बूत बनाने के लिए तख्तापलट करने वाले नेताओं ने नज़रबंद किया था.सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि यिंगलुक को एक हफ़्ते से ज़्यादा वक़्त तक हिरासत में नहीं रखा जाएगा, लेकिन जोर देकर कहा कि उनकी नज़रबंदी ज़रूरी है जब तक कि देश में चीज़ें व्यवस्थित नहीं हो जातीं.यिंगलुक इस महीने न्यायालय के द्वारा हटाए जाने के आदेश तक देश की प्रधानमंत्री रही हैं.


उन्हें 100 अन्य राजनेताओं के साथ सेना को रिपोर्ट करने को कहा गया था. इनमें कार्यवाहक प्रधानमंत्री निवाथमरांग बोनसोंगफाइसान भी शामिल हैं.सेना प्रमुख जनरल प्रायुथ चान-ओचा ने प्रमुख अधिकारियों से भी मुलाक़ात करके कहा है कि किसी भी चुनाव से पहले स्थिति में सुधार ज़रूर होना चाहिए.

जनरल प्रायुथ ने गवर्नरों, प्रमुख उद्योगपतियों और सरकारी अधिकारियों को समन भेजे हैं.सुधारथाईलैंड के छह वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को देश की बागडोर संभालने के लिए तैनात किया गया है.नागरिक शासन के निकट भविष्य में बहाली की संभावना नज़र नहीं आ रही है.जनरल प्रायुथ ने कहा, "मैं देश को संभालने में सरकारी कर्मचारियों से मदद चाहता हूं. हमें चुनाव से पहले आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधार चाहिए. अगर हालात शांतिपूर्ण रहे, तो हम सत्ता वापस जनता को लौटाने के लिए तैयार हैं."1932 में देश में राजशाही खत्म होने के बाद कम से कम 12 बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है.पिछले साल से थाई राजधानी में अस्थिरता का दौर शुरू हुआ, जब सुश्री यिंगलुक ने संसद का निचला सदन भंग कर दिया.2006 में सेना द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री और यिंगलुक के भाई थाकसिन शिनवात्रा को हटाए जाने के बाद से थाईलैंड में सत्ता को लेकर संघर्ष जारी है.ग्रामीण क्षेत्रों में थाकसुन और यिंगलुक को ज़बर्दस्त समर्थन हासिल है. अलबत्ता शहरी अभिजात्य और मध्य वर्ग उनका विरोध कर रहा है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh