अमेरिकी चुनाव में पर्पल स्टेट्स में दिख रही कांटे की टक्कर, जाने क्या है ये Red, Blue और Purple States
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है। फिलहाल इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है की जीत किसकी होगी? हालांकि अमेरिकी चुनाव में जीत की चाबी पर्पल स्टेट्स के पास होती है, पर्पल स्टेट्स ही तय करते हैं की जीत की चाबी से किसकी किस्मत खुलेगी! वैसे आपको बता दे कि अमेरिकी राजनीति में रंगों का अलग ही खेल है अमेरिका के 50 राज्य तीन रंगों में बंटे हुए हैं, जिन्हें रेड स्टेटस, ब्लू स्टेटस और पर्पल स्टेट्स कहा जाता है।
क्या हैं रेड ब्लू और पर्पल स्टेटस
अमेरिका में रेड स्टेट्स उन राज्यों को कहा जाता है, जहां पर रिपब्लिकन पार्टी की सत्ता है। इन स्टेट्स में रिपब्लिकन पार्टी 1980 से लगातार जीतती आई है। इस पार्टी के फ्लैग का कलर भी रेड है और डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार लाल टोपी में नजर आ चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ ब्लू स्टेट्स वो राज्य हैं जहां पर डेमोक्रेट्स का बोलबाला है। इन राज्यों में 1992 से डेमोक्रेटिक पार्टी ही जीतती आई है जबकि तीसरे हैं पर्पल स्टेट्स, जिनका रोल किंग मेकर का है। पर्पल स्टेट्स को स्विंग स्टेटस भी कहा जाता है।
पर्पल यानी स्विंग स्टेट्स क्यों है किंग मेकर
पर्पल यानी स्विंग स्टेट्स ऐसे राज्य हैं जहां ना तो रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व है और ना ही डेमोक्रेटिक पार्टी का। इन स्टेट्स का रिजल्ट हमेशा चौंकाने वाला होता है और व्हाइट हाउस का रास्ता भी इन्हीं पर्पल स्टेटस में जीत से डिसाइड होता है। इसीलिए चुनाव के टाइम दोनों पार्टियां इन स्टेट्स पर इतना जोर देती है। बात अगर कलर की करें तो पर्पल कलर रेड और ब्लू को मिक्स करके बनता है और चुनाव के हिसाब से भी यही माना जाता है कि यहां पर कोई भी जीत सकता है। इन राज्यों के लोग राष्ट्रपति को न चुनकर इलेक्टर्स के लिए वोटिंग करते हैं जो मिलकर इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं। ये इलेक्टर्स फिर अपनी पसंद के कैंडिडेट को वोट करते हैं। अमेरिका में कुल 538 इलेक्टोरल कॉलेज में से कैंडिडेट को राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटो की जरूरत होती है। इस तरह से इलेक्टोरल वोट से अमेरिका में राष्ट्रपति चुना जाता है। आपको बता दें कि एक ताजा सर्वे के मुताबिक पर्पल स्टेटस में कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।