गुजरात में मोदी समर्थकों का बनवाया मोदी मंदिर कल मोदी की नाराजगी के बाद भले बंद हो गया हो लेकिन उस पर विरोधयों के बयान आने बंद नहीं हुए. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को 'रफीकुल मुल्क और मुल्क की धरोहर' की उपमा देने वाले सपा महासचिव आजम खां ने अब 'मुलायम मंदिर' निर्माण का प्रस्ताव उछाला है. जीवित व्यक्तियों के बुत निर्माण पर तीखे कटाक्ष करने वाले आजम के बयान के अलग अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं.

मुलायम सिंह भी एक लोकप्रिय नेता
प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री आजम खां की ओर से कल बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंदिर की तर्ज पर सपा मुखिया मुलायम सिंह का भी अब बनना चाहिए. वह अपना प्रस्ताव मुलायम सिंह के सामने रखेंगे. यदि इस पर नेताजी सहमति दे देते हैं तो उनके मंदिर भी बनेंगे. आजम के बयान में सवाल उठाकर खुद ही जवाब देते हुए कहा गया कि मुलायम लोकप्रिय नेता हैं. उनके करोड़ों अनुयायी हैं तो फिर मंदिर क्यों न बनें? जब कई जीवित नेता व अभिनेताओं के मंदिर बने हैं, तो फिर नेताजी का मंदिर क्यों नहीं, बशर्ते मुलायम इसकी इजाजत दे दें. गौरतलब है कि दो दिन पहले गुजरात के राजकोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर बनने का खुलासा हुआ, जिस पर मोदी ने ट्वीट कर अपनी असहमति जताते हुए इसे परंपरा के विपरीत बताया है. इसके फौरन बाद आजम खां ने मुलायम मंदिर के निर्माण की पेशकश कर दी. उनके इस प्रस्ताव के सियासी अर्थ निकाले जा रहे हैं. कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मारुफ खां का कहना है कि आजम निजी फायदे के लिए किसी हद तक जा सकते हैं. मुसलमान होने के बावजूद बुत निर्माण का प्रस्ताव देकर उन्होंने साबित कर दिया है कि स्वार्थ के आगे उन्हें कुछ सूझता नहीं है.

उलेमाओं ने बयान पर दिखाया तल्खी
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रूमाना सिद्दीकी का कहना है कि पहले बर्थ-डे बनाकर रामपुर में जौहर ट्रस्ट की बेशकीमती जमीन जौहर विश्वविद्यालय को सौंप दी है. अब सरकार से कोई और फायदा लेने की मंशा से आजम ने यह प्रस्ताव उछाला है. आजम को प्रस्ताव देने के स्थान पर जौहर विश्वविद्यालय में मुलायम के मंदिर का निर्माण शुरू कर देना चाहिए.आजम के इस बयान पर देवबंदी उलेमा ने तल्खी दिखाते हुए इसे सियासी बयान बताया. दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती मोहम्मद आरिफ कासमी का कहना है कि मंदिर हिंदू धर्म का पूजा स्थल है. इसलिए किसी सियासी आदमी का मंदिर बनाना हिंदू धर्म के भी खिलाफ है. उन्होंने आजम खां के बयान को सियासी बताते हुए कहा कि वे विवादास्पद बयान देने के बजाय जनता द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश करे. तंजीम अब्ना-ए-दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि आजम खां अपने सियासी फायदे के चलते सबकुछ भूल गए हैं. मुसलमान किसी का भी मंदिर या पूजा स्थल बनाने में यकीन नहीं रखता. उन्होंने बयान को पूरी तरह राजनीतिक, निंदनीय और विवाद फैलाने वाला बताया. मदरसा जामियातुल अनवरिया के मोहतमिम मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर ने कहा कि मुसलमान होने के नाते आजम खां के मुंह से ऐसा बयान शोभा नहीं देता.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh