ELECTION SPECIAL: 'काम भले न किया हो लेकिन बलिया वालों को नाज़ है चंद्रशेखर पर'
इब्राहिम पट्टी जहां पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का गांव है वहीं सिताब दियारा समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण यानी जेपी का।
मऊ के क़रीब होने और बलिया से सत्तर किमी। दूर होने के बावजूद इब्राहिमपट्टी को सिर्फ़ इसलिए मऊ ज़िले में शामिल नहीं किया गया क्योंकि चंद्रशेखर की पहचान 'बाग़ी बलिया' के निवासी के रूप में थी और ख़ुद उन्हें लोग 'युवा तुर्क' के नाम से जानते हैं। समाजवादी सरकारइब्राहिमपट्टी गांव से ही संबंध रखने वाले और फ़िलहाल दिल्ली में रह रहे पत्रकार बलिराम सिंह बताते हैं कि इब्राहिमपट्टी सिर्फ़ चंद्रशेखर का जन्म स्थान रहा मगर वे चुनाव हमेशा बलिया से लड़े और वही उनकी कर्मभूमि भी रही।उन्होंने बताया कि इब्राहीम पट्टी गांव सलेमपुर लोकसभा सीट के तहत आता है।समाजवादी विचारों के पोषक दो बड़े नेताओं की जन्मस्थली होने के बावजूद न तो इन गांवों का और न ही इस इलाक़े का समुचित विकास हो पाया है।विकास की स्थिति यहां भी वही है जैसी कि पूरे पूर्वांचल में।
ऐसा तब है जबकि राज्य में समाजवादी पार्टी की चार बार सरकार रह चुकी है और जेपी तो इस पार्टी के प्रमुख विचारकों में गिने जाते हैं।हालांकि चंद्रशेखर महज़ छह महीने के लिए ही प्रधानमंत्री हुए थे और इस दौरान उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ परियोजनाओं की शुरुआत की भी थी लेकिन आगे चलकर वो सब धरी की धरी रह गईं।
बलिराम सिंह कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि चंद्रशेखर ने कुछ नहीं किया। मशहूर सुरहाताल को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कोशिश की, गांव में अस्पताल बनवाया, बलिया में काफी बड़े भृगु मंदिर का भी निर्माण कराया। बहुत सी चीजें धरातल पर इसलिए नहीं उतर पाईं क्योंकि उनका कार्यकाल ही बहुत छोटा था।""कभी भी अपनी बदौलत चुनाव नहीं जीते। यहां तक कि बीजेपी के समर्थन से भी जीत चुके हैं और चुनाव हारे भी हैं। ऐसे में क्षेत्र के विकास के लिए बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं थे।"
चंद्रशेखर 1977 से लेकर लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे। सिर्फ़ 1984 में वो इंदिरा लहर में हारे थे।चंद्रशेखर के समय में विकास की दृष्टि से बलिया की स्थिति चाहे जो रही हो लेकिन राजनीतिक फलक पर इस शहर और संसदीय क्षेत्र की एक अलग हैसियत रहती थी।मऊ ज़िले के पत्रकार वीरेंद्र चौहान बताते हैं कि चंद्रशेखर की वजह से ही राजधानी जैसी वीआईपी ट्रेन भी बलिया में रुकने लगी।नीरज शेखर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए लेकिन 2014 में लोकसभा चुनाव बीजेपी के भरत सिंह से हार गए।
फ़िलहाल वो समाजवादी पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य हैं।