कहां चूक रहे हैं अखिलेश यादव?
बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण का ख़ुद ही संज्ञान ले लिया.हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को स्थिति को संभाल न पाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा, "सरकार स्थिति से निपटने में असफल रही है."कोर्ट ने कहा कि 40 मौतें हो चुकी हैं और सरकार के पास स्थिति से निपटने की कोई योजना नहीं दिखती.राज्य सरकार के इसी ढीले रवैये के लिए बीते मंगलवार को मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव और आज़म ख़ान को काम न करने के लिए भरी सभा में डांट लगाई थी.साल 2012 और 2014 के बीच अखिलेश यादव सरकार की छवि इतनी ख़राब हो चुकी है कि अब यदि अखिलेश जादू की छड़ी भी घुमाएंगे तो भी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें शायद ही कम हों.मुलायम की हताशा
आचार संहिता लागू हो इससे पहले ही अखिलेश ने कई विकास योजनाओं की घोषणा की है. पिछले 10 दिनों में अखिलेश यादव ने 20,000 करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास किया है.
यह अलग बात है कि अखिलेश के प्रिय प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ हाइवे को बनाने के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आई. कई अन्य हाइवे ख़स्ता हाल में हैं. आने वाली गर्मियों में बिजली की स्थिति के बारे में सोच कर अभी से पसीना छूटने लगता है.बक़ौल मुलायम, अखिलेश अब चापलूसों से घिरे रहना पसंद करते हैं. उन्होंने कहा था, "मुख्यमंत्री जी, अब आपको 'सर' सुनना अच्छा लगने लगा है."ऐसे में प्रदेश में शासन कैसा है इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है.हालांकि मुलायम की फटकार को अखिलेश पिता-पुत्र के बीच की बात कहते हैं. हाल में पत्रकारों से बातचीत में अखिलेश ने कहा कि ऐसा कौन सा बेटा है जिसने अपने पिता से डांट न खाई हो?मुख्यमंत्री की मानें तो उत्तर प्रदेश विकास पथ पर अग्रसर है.