UP Budget 2019 : बजट पर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया, स्वास्थ्य और शिक्षा पर नहीं दिया गया ध्यान
lucknow@inext.co.inLUCKNOW : चुनावी वर्ष में बीजेपी सरकारों का बजट चाहे कितना भी लुभावना क्यों न हो, वास्तव में सरकार का साल भर का जनहित व जनकल्याण एवं अपराध नियंत्रण व कानून-व्यवस्था का काम ही आम जनता के लिए महत्वपूर्ण होता है और इन मामलों में केंद्र व खासकर यूपी की बीजेपी सरकार बुरी तरह से विफल साबित हुई है जो जगजाहिर है। केवल संगम स्नान से सरकारों के पाप नहीं धुल सकते। जनता बहुत होशियार है और जानती-समझती है। -मायावती, पूर्व मुख्यमंत्री एवं बसपा अध्यक्षजाति पूछने के बाद अस्पतालों में इलाज हो रहा
सरकार के पास अब दो ही बजट बाकी है। जैसी जिसकी समझ वैसे उसका बजट। सरकार चलाने वाले सन्यासी हैं पर उन्होंने राजकोष, धर्मकोष के लिए कुछ नहीं किया। जो कुछ बजट में था वह भी खो दिया। बेरोजगारी के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बजट में कुछ नहीं है। जाति पूछने के बाद अस्पतालों में इलाज हो रहा है। ये बजट चुनाव वाला भी नहीं निकला। - अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा अध्यक्षरोजगार, किसानों के लिए कोई आशा नहीं
बजट निराशाजनक है। इसमें जो घोषणाएं की गयी हैं उसमें रोजगार, किसानों के लिए कोई आशा नहीं है। मुख्यमंत्री ने 3 साल में 20 लाख युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देने की घोषणा की थी। शिक्षा में बजट आवंटन पिछली बार के मुकाबले कम है। घोषणा पत्र के 50 प्रतिशत से अधिक वादे बजट में भी शामिल नहीं है। यह पूरा बजट सब्जबाग दिखाता है। किसी भी वर्ग के लिए इस बजट में कुछ दिखाई नहीं पड़ता।- राज बब्बर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षगरीबों के उत्थान की कोई योजना नहीं यूपी का बजट निराशाजनक, दिशाहीन व उद्देश्यविहीन है। इसमें रोजगार बढ़ाने, किसानों व गरीबों के उत्थान की कोई योजना नहीं है। विभिन्न योजनाओं व सब्सिडी के आंकड़ों से प्रतीत होता है कि सरकार पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों, किसानों नौजवानों व छोटे और मझोले उद्यमों के लिए केवल खोखले वादे कर रही है।- शिवपाल सिंह यादव, अध्यक्ष, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी