कुछ समय पहले ब्ल्यू व्हेल नामक एक गेम के तहत लगातार कई लोग आत्महत्या कर रहे थे भारत में तो एक ही परिवार के कई सदस्यों ने आत्महत्या किया। इस कंसेप्ट के आधार पर ही देबात्मा अपनी फिल्म अनलॉक लेकर आये हैं। मगर यहां उन्होंने ट्विस्ट मर्डर मिस्ट्री के माध्यम से दिया है और गेम का नाम भी डार्क वेब रखा है। आप किसी को पाने की चाहत में किस हद तक जा सकते हैं। किस तरह के हथकंडे अपना सकते हैं और इसके लिए आप किस तरह मजाक-मजाक में अपने किसी अजीज की जान से भी खेल सकते हैं। फिल्म एक मेसेज के साथ आती है। युवाओं को एक बार यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए। पढ़ें पूरा रिव्यू

फिल्म : अनलॉक
कलाकार : हिना खान, कुशाल टंडन, अदिति आर्या, ऋषभ सिन्हा
निर्देशक : देबात्मा मंडल
ओटीटी चैनल : जी 5
रेटिंग : तीन स्टार
क्या है कहानी : सुहानी (हिना खान) अमर (कुशाल टंडन) और रिद्धि (अदिति आर्या) दोस्त हैं। रिद्धि और अमर एक दूसरे को चाहते हैं। लेकिन सुहानी भी अमर से प्यार करती है। अब ऐसे में वह अपने प्यार को पाने के लिए एक गेम का सहारा लेती है, जिसके माध्यम से गलत तरीके से वह अमर को हासिल कर सके। गांव घरों के बैक ग्राउंड में यह पिक्चर बनी होती तो लोग इसे ब्लैक मैजिक का नाम देते। बहरहाल, सुहानी को खुद नहीं पता कि वह किस भंवर में फंसती जा रही है। कहानी में कई ट्विस्ट हैं, और दिलचस्प हैं। हां, थ्रिलर के लिहाज से यह बाकी थ्रिलर फिल्मों की मीटर पर पूरी तरह खरी नहीं उतरती। लेकिन कॉन्सेप्ट के लिहाज से इसे नकारा नहीं जा सकता है। क्या सुहानी अपना प्यार पाने में कामयाब होती है या फिर कहानी अलग ही मोड़ पर उसे लेकर जाती है। देखना कहानी में दिलचस्प है।

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क्या है अच्छा : कांसेप्ट के लिहाज से काफी नयापन है, यह भी अच्छी बात है कहानी को बेवजह लंबा नहीं किया गया है। अवधि कम होने के कारण आप एक के बाद एक नए लेयर्स देखते हैं और कहानी आपको इंगेज करती है। ऐसी कहानियां मेसेज के रूप में बननी जरूरी है, चूंकि जिस तरह का दौर हमारे सामने है, यंग स्टर्स को पता ही नहीं है कि वह हैव फन, और चिल्ल के नाम पर किस तरह दलदल में फंसते जाते हैं और अंतत: अपनी जान खो बैठते हैं।
क्या है बुरा : थ्रिलर के लिहाज से कहानी कमजोर है, जैसा प्लाट धांसू था, इसे और दिलचस्प बनाया जा सकता था।
अभिनय : हिना खान अब भी टेलीविजन वाला अभिनय करती हैं, उनमें अब भी वर्सटैलिटी नजर नहीं आती है। उन्हें अच्छे मौके मिल रहे हैं। उनको उस लिहाज से अपने अभिनय पर और काम करने की जरूरत है। कुशाल ने अपने अब तक के निभाये किरदार से कुछ अलग गढ़ने की कोशिश की है और वह कामयाब भी नजर आये हैं। अदिति ने सीमित दृश्यों में अच्छा अभिनय किया है। ऋषभ के लिए अधिक दृश्य ही नहीं थे।
वर्डिक्ट : अलग सब्जेक्ट के कारण दर्शक पसंद कर सकते हैं।
फिल्म समीक्षा : अनु वर्मा

Posted By: Satyendra Kumar Singh