केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाआें के प्रवेश को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद भी विरोध हो रहा है। एेसे में कल केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सेनेटरी नैपकिन का उदाहरण देते एक बयान दिया। एेसे में सोशल मीडिया पर बयान का विरोध होने पर उन्होंने ट्वीट की सीरीज चला दी।


नई दिल्ली (पीटीआई)।  हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है। बावजूद इसके अभी भी यहां महिलाओं को मंदिर में प्रवेश किए जाने का विरोध हो रहा है। कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। इस दौरान कल केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ब्रिटिश उच्चायोग और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित यंग थिंकर्स कॉन्फ्रेंस में बोल रही थीं। इस दौरान उन्होंने सबरीमाला मंदिर मामले को लेकर कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं रखती हूं क्योंकि मैं एक कैबिनेट मिनिस्टर हूं। यह बात भी काॅमन सेंस की


इसके बाद उन्होंने कहा कि लेकिन यह बात भी काॅमन सेंस की है कि आप पीरियड्स के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे?  आप ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगे। क्या आपको लगता है कि ऐसे में भगवान के घर जाना ठीक है?  यही फर्क है। मुझे पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। इसी फर्क को पहचानने तथा सम्मान करने की जरूरत है। बयान पर टिप्पणी शुरू कर दी

स्मृति ईरानी अपने इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगी। लोगों ने उनके बयान पर टिप्पणी शुरू कर दी। ऐसे में  केंद्रीय मंत्री स्मृति ने अपने बयान के कुछ घंटे बाद ही ट्वीट कर कहा कि मेरे बयान कि चर्चा हो रही है इसलिए मैं भी अपने कमेंट पर कमेंट करना चाहूंगी। स्मृति ने एक ट्वीट में बयान दिया कि कि मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने पारसी धर्मावलंबी से शादी की, इसलिए मुझे प्रार्थना के लिए आतिश बेहराम में जाने की इजाजत नहीं है। पुजारियों का पूरा सम्मान करती

इसके बाद उन्होंने एक अन्य ट्वीट में यह भी बयान दिया कि मैं पारसी समुदाय और उनके पुजारियों का पूरा सम्मान करती हूं और दो पारसी बच्चों की मां होने नाते वहां पूजा करने के अधिकार के लिए किसी कोर्ट के दरवाजे पर नहीं गई। ठीक इसी तरह मासिक धर्म वाली पारसी या गैरपारसी महिलाएं किसी भी अगिअरी (प्रार्थना स्थल) में प्रवेश नहीं करती हैं। स्मृति ईरानी ने याद किया जब उनके बच्चे अगिअरी के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था। उन्होंने कहा, 'जब मैं अपने नवजात बेटे को अगिअरी लेकर गई तो मैंने उसे मंदिर के द्वार पर अपने पति को सौंप दिया और बाहर इंतजार किया क्योंकि मुझे दूर रहने और वहां खड़े न रहने के लिए कहा गया।'यह दोनों बयान तथ्यात्मकस्मृति ईरानी यहीं नहीं रुकी उन्होंने कहा कि यह दोनों बयान तथ्यात्मक हैं। इसके अलावा मेरे बयान का इस्तेमाल कर एजेंडा चलाया जा रहा है। सुबह वाले बयान का फिर से जिक्र कियास्मृति ईरानी ने आखिरी के दो ट्वीट में अपने सुबह वाले बयान का फिर से जिक्र किया। उन्होंने लिखा कि जहां तक एक दोस्त के घर खून से सने पैड को ले जाने के मेरे बयान पर हमला बोलने का सवाल है तो मुझे अब तक ऐसा करने वाला कोई नहीं मिला। स्मृति ने आखिरी ट्वीट में लिखा कि लेकिन हैरान होने की बजाय इस बात पर हंसी आती है कि एक महिला के तौर पर मुझे अपना दृष्टिकोण रखने की परमीशन नहीं है। 'उदारवादी' दृष्टिकोण की बात है तो मैं स्वीकार्य हूं यह कितना उदारवादी है?'
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Posted By: Shweta Mishra