भारत को अंडर 19 वर्ल्डकप जितवाने वाले कप्तान यश ढुल का लक्ष्य है कि वह 18 महीनों के अंदर सीनियर टीम में खेलेंं। हालांकि यह आसान नहीं रहने वाला इसके लिए यश को लंबा रास्ता तय करना है मगर यह युवा क्रिकेटर आगे की चुनौतियों के लिए तैयार हैं।

नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत के अंडर 19 कप्तान यश ढुल ने पिछले 48 घंटों में जितनी उड़ानें भरी हैं, उनकी संख्या शायद याद न हो। उन्होंने पिछला दिन अहमदाबाद में बिताया था, जहां वह एक लंबी कैरेबियन फ्लाइट के बाद पहुंचे थे। पिछले दो महीनों से घर से बाहर ढुल आखिरकार गुरुवार को अपने माता-पिता से मिले। ढुल तड़के दिल्ली पहुंचे और सीधे पश्चिमी दिल्ली में अपने मातृ संस्थान बाल भवन गए, जहां उन्होंने उन लोगों से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें क्रिकेटर बनने में बड़ी भूमिका निभाई। दो घंटे बाद वह गुवाहाटी पहुंचे जहां वह अगले सप्ताह दिल्ली के लिए रणजी में डेब्यू करने की तैयारी करेंगे।

18 महीने का रखा लक्ष्य
युवा क्रिकेटर यश ढुल का शेड्यूल इस वक्त काफी बिजी है मगर एक प्रोफेशनल खिलाड़ी के रूप में वह इन चुनौतियों के लिए तैयार हैं। ढुल ने अपने रणजी ट्रॉफी कॉल का जिक्र करते हुए कहा, "मैं पिछले कुछ दिनों में मुश्किल से सोया हूं, लेकिन यह ऐसी चीज नहीं है जिसके बारे में मैं शिकायत कर सकता हूं। मैंने अब तक जो किया है वह बीत चुका है। अब मुझे आगे के बारे में सोचना है।' विश्व कप विजेता टीम के अधिकांश सदस्य भारत के लिए खेलेंगे यह जरूरी हनीं लेकिन ढुल ने कैरिबियन में दिखाया कि वह उच्चतम स्तर पर खेल सकता है। उन्होंने भारत के लिए खेलने के लिए 18 महीने का लक्ष्य रखा है।

कोहली और चंद दो उदाहरण हैं सामने
होनहार क्रिकेटर ने कहा, "यह मेरा लक्ष्य है लेकिन अगर मैं 18 महीने की समय सीमा में ऐसा नहीं कर पाया, तो मैं तब तक कड़ी मेहनत करता रहूंगा जब तक कि मैं अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लेता।" 19 वर्षीय यश विराट कोहली और उन्मुक्त चंद के बाद खिताब जीतने वाले दिल्ली के तीसरे कप्तान हैं, जिन्होंने अंडर -19 वर्ड कप में अपने कारनामों के बाद करियर में काफी कुछ किया है। वह कोहली और उनकी उपलब्धियों से प्रेरित है, लेकिन उनके सामने चंद की कहानी भी है, जिन्होंने 2012 के सीजन में वर्ल्डकप जीता और ऐसे गायब हुए कि टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाए।

फोकस रहने की जरूरत
क्या ढुल को भी कैरिबियन में अभी-अभी अनुभव किए गए हाई क्लाॅस परफाॅर्मेंस के बाद विफलता का डर है? उन्होंने कहा, 'आपने जो नाम (कोहली और चंद) लिए हैं, मैं उन तर्ज पर नहीं सोच रहा हूं। मैं विनम्र रहना चाहता हूं और भविष्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहता। विराट भाई ने मेरे साथ अपना अनुभव साझा किया कि U19 विश्व कप (2008 में) के बाद उनके साथ क्या हुआ था। कोहली के साथ बातचीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे यहां से अपने करियर के करीब आने से बहुत कुछ पता चला है, उनके साथ बातचीत ने मुझे उन चीजों को समझने में मदद की है, जिन पर मुझे ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है और जिन चीजों से मुझे बचने की जरूरत है।"

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari