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इन्वेंटरी का है पूरा खेल
बताया गया है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों की इन्वेंटरी अब करीब 50 दिन के आसपास पहुंच चुकी है। ऐसे में इन सभी कंपनियों को 31 मार्च 2017 तक अपने पुराने मॉडल्स को किसी भी तरह से बेचना है। इसके पीछे बड़ा कारण ये है कि 1 अप्रैल 2017 से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पूरी तरह से फ्यूल नॉर्म बीएस-4 पर शिफ्ट होने वाली है। ऐसे में सीधी सी बात है कि जिन कंपनियों के पास मॉडल्स बीएस-3 पर हैं, उन्हें कंपनियों को जल्द से जल्द बेचना ही होगा।
ऐसा कहना है अधिकारियों को
इस बारे में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन (सिआम) के डीजी विष्णु माथुर का कहना है कि इन्वेंटरी को ध्यान में रखते हुए बहुत सी कंपनियों ने दिसंबर में ही गाड़ियों के प्रोडक्शन को कम कर दिया था। अब इन इन्वेंटरीज को उन्हें मार्च तक में बेचना होगा। उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल को बीएस 4 एमिशन नॉर्म्स को लागू कर दिया जाएगा।
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ट्रक्स भी होंगे सस्ते
कंपनियों को इन इन्वेंटरीज को ध्यान में रखते हुए सिर्फ टू-वहीलर्स को ही नहीं, इनके साथ ही ट्रक्स को भी बेचना होगा। ये सभी वो मॉडल होंगे जो अभी भी बीएस-3 स्टैडर्ड पर चल रहे होंगे। वहीं जहां तक बात कारों की आती है तो कारें बीएस-4 स्टैडर्ड पर चल रही हैं। ऐसे में कंपनियों को उनको बेचने की कोई जल्दी नहीं है।
ऐसे चले एमिशन नॉर्म्स
1991 में मास एमिशन स्टैंडर्ड प्रभावी रहा था। वहीं 1996 में रीवाइज्ड नॉर्म्स ट्रेंड में थे। 2000 में बीएस 1 आया। उसके बाद 2005 में बीएस 2 लागू किया गया। 2010 में बीएस 3 प्रभावी रहा और अब 2017 में बीएस 4 आ चुका है। इस तरह से समय-समय पर एमिशन नार्म्स बदलते रहे।
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कंपनियां आईं प्रेशर में
मार्च तक सभी गाड़ियों को निकालने की जद्दोजहद में अब कंपनियां प्रेशर में आ चुकी हैं। ऐसे में लोगों को गाड़ियों पर हैवी डिस्काउंट देने के अलावा और दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इससे पहले भी नोटबंदी की वजह से टू-व्हीलर कंपनियों को भारी नुकसान सहना पड़ा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डीलर्स के पास मौजूदा इन्वेंटरी लेवल को 6 हफ्ते से बढ़ाकर 8 हफ्ते का कर दिया गया है।
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अचानक बढ़ जाएंगी कीमत भी
एक ओर जहां अभी कंपनियां बीएस-3 स्टैंडर्ड की गाड़ियों को जल्द से जल्द बेचने के लिए उनके दामों में भारी कमी करने वाली हैं, वहीं बीएस-4 नार्म्स लागू होने के बाद कंपनियां इनके दामों को अचानक बढ़ा भी देंगी। इसको लेकर कंपनियों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी इनपुट कॉस्ट ज्यादा होने और पूरी पोर्टफोलियो को बीएस-4 एमिशन लेवल पर लेकर जाने की वजह से होगी।
ऐसे गिरी थी सेल
नोटबंदी के कारण पहले ही कंपनियों की सेल गिर चुकी है। अलग-अलग कंपनियों पर गौर करें तो हीरो मोटोकॉर्प की सेल दिसंबर 2016 में 33.91 फीसदी से गिरकर 3.30 लाख यूनिट्स पर आकर रुक गई। वहीं हॉन्डा की सेल दिसंबर में 20 फीसदी से गिरकर 2.31 लाख यूनिट्स रह गई। ऐसे ही कई कंपनियों को गिरती हुई सेल के साथ घाटे का सामना करना पड़ा।