म्यामार में मुस्िलमों को 'बच्चे 2 ही अच्छे' का फरमान
धर्म के आधार पर पॉपुलेशन कंट्रोल करने वाला फिलहाल यह दुनियाभर का पहला फरमान है. यह कानून राखाइन के रोहिंग्या मुस्िलमों पर ही लागू होगा. यहां रहने वाले बाकी धर्मों के लोगों पर यह कानून लागू नहीं होगा. इस कानून को वहां रह रहे मुस्िलमों के अगेंस्ट भेदभाव की तरह देखा जा रहा है. म्यामार के दो कस्बों बुथीडांग और मौनदा में सबसे जयादा मुस्िलम हैं. ये दोनों कस्बे बांग्लादेश बॉर्डर के पास स्िथत हैं. इन शहरों में मुस्िलमों के अलावा बोद्ध काफी संख्या में रहते हैं. इन दो कस्बों में मुस्िलमों की संख्या बौद्धों से ज्यादा है. नस्लीय हिंसा पर कंट्रोल के लिए फरमान
गवर्नमेंट ने यह फरमान इस इलाके में बढ़ती हुई नस्लीय हिंसा को रोकने के लिए किया है. गवर्नमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ साल में यहां मुस्िलम पॉपुलेशन बौद्ध पॉपुलेशन के मुकाबले 10 परसेंट ज्यादा बढ़ी है. तेजी से बढ़ती मुस्िलम पॉपुलेशन नस्लीय हिंसा का प्रमुख कारण बन रही है. रोहिंग्या मुस्लिमों को मान्यता नहीं
म्यामार में 135 संप्रदायों को कानूनन मान्यता मिली है. यहां बौद्ध धर्म के लोगों की पॉपुलेशन सबसे ज्यादा है. रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यामार में रहने की कानूनी मान्यता नहीं है. इन्हें म्यामार में नागरिकता भी नहीं दी गई है. इन्हें बांग्लादेश से म्यामार में घुसपैठ कर बसे हुए माना जाता है.