Tulsi Vivah Date, Puja Vidhi, Muhurat: विधि विधान से करें पूजा, इस दिन से शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य
तुलसी वैष्णवों के लिए परमाराध्य पौधा है। कोई-कोई तो भगवान के श्रीविग्रह के साथ तुलसी जी का विवाह बड़े धूमधाम से करते हैं। साधरणतया लोग तुलसी के पौधे का गमला, गेरु आदि से सजाकर उसके चारों ओर ईख का मण्डप बनाकर उसके ऊपर ओढ़नी या सुहाग की प्रतीक चुनरी ओढ़ाते हैं । इस विधि से करें तुलसी विवाहगमले को साड़ी में लपेटकर तुलसी को चूड़ी पहनाकर उनका श्रृंगार करते हैं। गणेशादि देवताओं का तथा श्रीशालग्राम जी का विधिवत् पूजन करके श्रीतुलसीजी की विधि-विधान से पूजा' तुलस्यै नमः' नाम मंत्र से करते हैं। तत्पश्चात एक नारियल दक्षिणा के साथ टीका के रूप में रखते हैं तथा भगवान शालग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ मे लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा करायें और आरती के पश्चात विवाहोत्सव पूर्ण करें।विष्णु भगवान को 1 लाख तुलसी पत्र करें समर्पित
विवाह के समान ही अन्य कार्य होते हैं। तथा विवाह के मंगल गीत भी गाये जाते हैं। राजस्थान में इस तुलसी विवाह को 'बटुआ फिराना' कहते हैं। आज से ही विवाह का शुभ काल शुरु हो जाता है। श्रीहरि को एक लाख तुलसी पत्र समर्पित करने से वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है।-ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र
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