Tribhanga movie review: च्वाइस की आजादी का फलसफा सिखाती है त्रिभंग
फिल्म : त्रिभंग
कलाकार : काजोल, तन्वी आजमी, मिथिला पालकर, मानव गोविल, कंवलजीत, वैभव तत्वावाडी
लेखक और निर्देशक : रेणुका सहाणे
निर्माता : अजय देवगन और पराग देसाई
ओटी टी : नेटफ्लिक्स
रेटिंग : 3. 5 स्टार
क्या है कहानी
कहानी तीन जेनरेशन की है, नयनतारा अनु और माशा तीन महिलाएं। नयन की बेटी अनु हैं और अनु की बेटी माशा। नयन(तन्वी आजमी ) एक लोकप्रिय लेखिका हैं, उनकी बेटी अनु (काजोल ) अभिनेत्री हैं, बेटी माशा (मिथिला )सिम्पल हाउस वाइफ। नयन जिंदगी में लिखने से अधिक महत्व किसी को नहीं देती है, जाहिर है कि महिलाओं को, अक्सर ही करियर के सामने परिवार को तरजीह देने की बात कही जाती है और कई महिलाएं ये करती भी हैं, दबाव में आकर। लेकिन नयन ने ऐसा नहीं किया. वह अपने दोनों बच्चे अनु और रविंद्रो (विवेक) को लेकर अलग हो जाती है, लेकिन उनके बच्चे पिता से अलग नहीं होना चाहते थे। ऐसे में अनु और रविन्द्रो की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
आगे चल कर अनु एक्ट्रेस बन जाती है, रविन्द्रो आध्यात्म की तरफ मुड़ जाते हैं। दोनों बच्चे नयन अपनी मां से दूर होते जाते हैं। नयन अपनी ऑटो बायोग्राफी मिलन (कुणाल रॉय कपूर ) के साथ पूरा कर रही होती है कि अचानक कोमा में जाती है। अब यहां अनु और रवि फिर से मां से मिलते हैं। इसके बाद दर्शक मां बेटी के रिश्ते की जटिलता को देखते हैं। मां से हरदम शिकायत करने वाली अनु से जब उसकी खुद की बेटी सवाल करती है तो अनु को समझ आता है कि उसकी मां ने भी क्या किया क्या नहीं। मां बेटी के रिश्ते पर आधारित यह एक बेहतरीन फिल्म है, अमूमन पिता और बेटे के बीच ऐसी रिलेशनशिप पर फिल्में बनी हैं। लेकिन यह फिल्म वर्षों याद रखी जाएगी।
क्या है अच्छा
फिल्म का नैरेटिव अंदाt अच्छा है, संवाद अच्छे हैं, इमोशन को खूबसूरती से परोसा गया है, काजोल कमर्शियल फिल्मों की अभिनेत्री रही हैं, लेकिन इस बार उन्होंने बहुत सहजता से अभिनय किया है। तीनों कलाकार मंझे हैं। रेणुका ने बड़े प्यार से आराम से फिल्म बनाई हैं। इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है कि इस फिल्म की महिलाओं की जिंदगी में कई मर्द होते हैं, लेकिन वह इसके लिए अपलोजोटिक नहीं हैं, बल्कि वह शान से बताती हैं कि हां, हमारी जिंदगी में कई मर्द रहे हैं, नयन और अनु ये दोनों ही किरदार ने च्वाइस को तवज्जो दी, जो अमूमन महिलाएं नहीं कर पाती हैं। इसलिए यह फिल्म महिलाओं को जरूर देखनी चाहिए।
जबर्दस्ती की गालियों की जरूरत नहीं थी। फिल्म इंटरनेट पर आ रही है, तो जरूरी नहीं कि बिना गालियों के कहानी न कही जाये। अदाकारी
काजोल के करियर में यह फिल्म नए आयाम जोड़ेगी। उन्होंने खुद को अलग ही रूप में ढाला है, तन्वी आजमी ने शानदार दृश्य दिए हैं, मिथिला के लिए भी यह बिल्कुल नया अवतार है। विवेक ने अच्छा काम किया है, मानव गोविल को भी अच्छा स्पेस मिला है। वर्डिक्ट
वर्ड ऑफ माउथ वाली फिल्म है, महिलाओं के साथ उनके परिवार वालों को तो फिल्म जरूर देखनी चाहिए। Review By: अनु वर्मा