कुछ ही देर में जेल कोर्ट में सुनाया जाएगा आसाराम पर फैसला, राजस्थान से लेकर दिल्ली तक काबू किए जा रहे समर्थक
तीन राज्यों में बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था 77 वर्षीय आसाराम के समर्थक तो वैसे पूरे देश में हैं लेकिन तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में इनके अनुयायियों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि आसाराम के समर्थकों को कानून और व्यवस्था के लिए खतरा मानते हुए इन तीनों राज्यों की सुरक्षा को मजबूत करने का आदेश दिया था। जिससे कि उनके समर्थक इनसंवेदनशील राज्यों में किसी भी तरह की हिंसा को अंजाम न देने पाए। राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक, आज ट्रायल कोर्ट जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में अपना फैसला देगी। वहीं जेल डीआईजी विक्रम सिंह का कहना है कि आज के दिन के लिए सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई है। जेल परिसर के आस-पास कोई भटकने भी नहीं पाएगा। परिवार बोल न्यायपालिका में विश्वास
चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी तैनात है। वहीं शहर के साथ-साथ पीड़िता के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पीड़ित के परिवार की सुरक्षा की लगातार निगरानी की जा रही है। पुलिस अधीक्षक केबी सिंह ने पीटीआई को बताया कि दो और कॉन्स्टेबल पहले से ही तैनात है। पांच पुलिसकर्मियों के अलावा घर के बाहर गार्ड खड़े हैं। सीसीटीवी कैमरों का उपयोग कर आने जाने वालों पर सख्त सतर्कता नजर रखी जा रही है। वहीं एक ओर आसाराम के समर्थक आज इस संशय में हैं कि उन्हें जेल होगी या बेल, लेकिन इस दौरान पीड़िता के परिवार को पूरा भरोसा है। पीड़िता के पिता का कहना है कि मुझे न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास है और मुझे पूरा भरोसा है कि आसाराम को उनके किए की सख्त सजा मिलेगी। यह है आसाराम का पूरा मामलाआसाराम का यह मामला करीब साढ़े चार साल पुराना है। आसाराम को यूपी के शाहजहांपुर से एक किशोर लड़की द्वारा दायर की गई शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। पीड़ित ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने उन्हें जोधपुर के पास मणई इलाके में अपने आश्रम में बुलाया था और 15 अगस्त 2013 की रात को उसके साथ दुष्कर्म किया था। इसके बाद आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर लिया गया था और 1 सितंबर, 2013 को जोधपुर लाया गया था। वह 2 सितंबर, 2013 से न्यायिक हिरासत में है। वहीं 6 नवंबर, 2013 को पोस्को अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और आईपीसी के विभिन्न वर्गों के तहत आसाराम और 4 अन्य सह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था।