दो टाइगर को बचाने से होगा इतना फायदा कि मंगलयान भेजने का पूरा खर्च निकल आए
5.7 लाख करोड़ रुपए का लाभ हर साल होगा देश में मौजूद 2,226 अडल्ट टाइगर से। 1200 करोड़ खर्च हुए टाइगर्स को बचाने में 35 सालों में। 23,056 मिलियन डॉलर का फायदा हर साल हुए 6 टाइगर रिजर्व से।
अगर देश में टाइगर्स और मंगलयान के बीच तुलना करते हुए यह कहा जाए कि दो टाइगर्स को बचाना मंगलयान को स्पेस में भेजने से ज्यादा खर्चीला है, तो आपको अजीब लगेगा। लेकिन एक स्टडी में कुछ ऐसे ही तथ्य पेश किए गए हैं। एक रिपोर्ट की मानें तो मंगलयान को स्पेस में भेजने में 450 करोड़ रुपए का खर्च आया। वहीं 2 टाइगरों तो बचाने में 520 करोड़ रुपए का लाभ होता है। 2,226 अडल्ट टाइगर, 5.7 लाख करोड़ लाभइंडो-ऑस्ट्रेलियन साइंटिस्ट्स ने 'मेकिंग द हिडन विजिबल इकोनॉमिक वैल्युएशन ऑफ टाइगर रिजर्व इन इंडिया’ नाम से रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके अनुसार, इंडिया में करीब 2,226 अडल्ट टाइगर हैं। इस हिसाब से इतने टाइगर्स को बचाने से 5.7 लाख करोड़ रुपए का लाभ होगा। ये रकम नोटबंदी के दौरान जमा हुई कुल रकम का करीब एक तिहाई है। कंजरवेशनिस्ट्स का कहना है कि बाघों को बचाने से आर्थिक समझ बेहतर होती है। ऐसा तब होता है जब टाइगर के नेचुरल हैबिटेट्स को बचाने से इकोसिस्टम को फायदा होता है।
11 साइंटिस्ट्स की टीम ने 6 टाइगर रिजर्व में स्टडी की और पाया कि इन टाइगर्स का संरक्षण करना 230 बिलियन डॉलर यानी 14 लाख करोड़ रुपए को सुरक्षित रखने के बराबर है। भोपाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन मैनेजमेंट के प्रोफेसर मधु वर्मा के मुताबिक, इंडिया के टाइगर रिजर्व केवल दुनिया के आधे बाघों को पनाह ही नहीं देते बल्कि ये बायोडायवर्सिटी को बनाए रखने में मददगार साबित होते हैं। इससे इकोनॉमिक, सोशल और कल्चरल फायदे भी हैं। मसलन बाघों को बचाने के लिए पैसे के आवंटन पर रोक लगाना इंसान की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। 6 टाइगर रिजर्व में किया गया इन्वेस्टमेंट हर लिहाज से आर्थिक बेहतरी के लिए है।ये आदमी रोजाना उड़कर पहुंचता है ऑफिस, कोई शक...
आर्थिक फायदा 356 गुना ज्यादा
6 टाइगर रिजर्व का एक साल का खर्च करीब 23 करोड़ के आसपास होता है। एनालिसिस बताता है कि एक टाइगर को बचाने का आर्थिक फायदा उस पर खर्च किए पैसे से करीब 356 गुना ज्यादा होता है। इतना फायदा कोई भी इंडस्ट्री या सर्विस नहीं दे सकती। ग्लोबल टाइगर फोरम के जनरल सेक्रेटरी और प्रोजेक्ट टाइगर के पूर्व प्रमुख राजेश गोपाल की मानें तो ट्रेडिशनल इकोनॉमिस्ट्स बाघों पर किए जाने वाले खर्च को ग्रीन अकाउंटिंग मानते हैं।
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2014 में अंतिम बार नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ने देशभर में बाघों के आंकड़े जारी किए। बता दें कि 2006 में भारत में 1411 बाघ थे। देशभर में बाघों का अगला सेंसस 2018 में होगा। -जिम कॉर्बेट: 215-कान्हा टाइगर रिजर्व: 80-काजीरंगा: 106-पेरियार रिजर्व: 35-सुंदरबन: 76-रणथंभौर: 46किसी को अचानक छूने से लगता है बिजली का झटका, तो जान लीजिए इसका असली कारण
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