Breast Cancer :Time to face and fight
ब्रेस्ट कैंसर होने के लिए किसी वजह की जरूरत नहीं है. अगर आपकी उम्र 35 से ज्यादा है तो ब्रेस्ट कैंसर आपको भी हो सकता है. डॉ. प्रीति शुक्ला के मुताबिक जहां लेडीज की थोड़ी अलर्टनेस ब्रेस्ट कैंसर से उन्हें बचा सकती हैं वहीं सिम्पटम्स इग्नोर करने से इसे क्योर करना मुश्किल हो सकता है. वो कहती हैं, ‘अर्ली स्टेजेस पर इस बीमारी को पूरी तरह क्योर किया जा सकता है.’
क्या है ब्रेरस्ट कैंसर? क्या होते हैं इसके सिम्पटम्स? इन्हीं कुछ सवालों के जवाब जानिए एक्सपट्र्स से...
ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
ब्रेस्ट कैंसर ब्रेस्ट टिश्यू से ओरिजिनेट होने वाला कैंसर है. ये कॉमनली मिल्क डक्ट्स की इनर लाइनिंग और लोब्यूल्स को अफेक्ट करता है. डक्टर्स में ओरिजिनेट होने वाले कैंसर को डक्टल कार्सिनोमा कहते हैं और लोब्यूल्स में होने वाले को लोब्यूलर कार्सिनोमा कहा जाता है. कुछ ब्रेस्ट कैंसर हार्मोंस जैसे एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरोन के लिए सेंसटिव होते हैं. इन्हें इन हार्मोंस के इफेक्ट्स को ब्लॉक कर ट्रीट किया जाता है.
कौन सा एज ग्रुप डेंजर जोन में आता है?
रीसेंट रिसर्च कहती है कि ब्रेस्ट कैंसर रिस्क ग्रुप 50-70 से शिफ्ट होकर 30-50 हो गया है. इसीलिए 35-40 की हर महिला को रेग्युलर ब्रेस्ट चेकअप जरूर कराना चाहिए.
ब्रेस्ट कैंसर के सिम्पटम्स क्या होते हैं?
अगर ये सिम्पटम्स दिखें तो डॉक्टर से मिलिए...
ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं?
ओल्ड एज, फैमिली हिस्ट्री, अर्ली पीरियड्स और लेट मेनोपॉज ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को बढ़ाने वाले कॉमन फैक्टर्स हैं. इसके अलावा स्मोकिंग, अल्कोहल, रेडिएशन, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और देर से प्रेगनेंट होना भी इस बीमारी के रिस्क को बढ़ा देता है.
क्या इसके रिस्क को कम किया जा सकता है?
करीब 30 परसेंट कैंसर डेथ्स इन पांच हैबिट्स की वजह से होती हैं- हाई बॉडी मास इंडेक्स, लो फ्रूट और वेजीटेबल डाइट, लैक ऑफ एक्सरसाइज, टुबैको यूज और एल्कोहल इंटेक. एक हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज से ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है.
क्या ओरल कांट्रासेप्टिव्ज और ब्रेस्ट कैंसर में लिंक है?
हालांकि ये प्रूव्ड नहीं है, लेकिन ये ऑब्जर्व किया गया है कि पांच साल से ज्यादा पिल्स खाने वाली लेडीज में इस बीमारी का रिस्क बढ़ जाता है. हालांकि हार्मोन की कम क्वांटिटी की वजह से ये रिस्क मिनिमल होता है.
चेकअप के लिए कितनी बार जाना चाहिए?
डॉ. प्रीति के मुताबिक लेडीज को रेग्युलर चेकअप्स के लिए जाते रहना चाहिए. वो कहती हैं, ‘साल में एक बार तो हर लेडी को क्लिनिकल ब्रेस्ट चेकअप कराना ही चाहिए. इसके अलावा जब भी ब्रेस्ट के शेप या फील में चेंज लगे, डॉक्टर के पास तुरंत जाएं.’
Breast Cancer in males
मेजॉरिटी लोग ये नहीं जानते कि ब्रेस्ट कैंसर मेल्स को भी होता है, जबकि हर साल मेल ब्रेस्ट कैंसर के करीबन 1200-2000 पेशेंट्स बढ़ रहे हैं. मेरे पास हर साल मेल ब्रेस्ट कैंसर के 3-4 नए पेशेंट्स आ रहे हैं, लेकिन डिस्टर्बिंग फैक्ट ये है कि ये सारे पेशेंट्स एडवांस्ड स्टेजेस में हैं. इसकी मेन वजह है कि मेल्स में ब्रेस्ट टिश्यू बहुत कम होता है. इसीलिए लंप्स जल्दी डिटेक्ट नहीं होते. मेल्स और फीमेल्स दोनों में ब्रेस्ट कैंसर के सेम सिंपटम्स और इफेक्ट्स होते हैं. लेकिन ज्यादातर मेल्स उस रीजन में किसी भी चेंज को लेकर कांशस नहीं होते,जबकि रिएलिटी में अर्ली डिटेक्शन से कंप्लीट क्योर के चांसेस बढ़ जाते हैं.
Go for self examination
सेल्फ एग्जामिनेशन की तकनीक सांइटिफिक है. जिसको कैंसर के विशेषज्ञ से स्वत: सीखा जा सकता है. जिसके बाद पीडि़त को हर महीने फिक्स डेट पर करना चाहिए. लेडीज के लिए सेल्फ एग्जामिनेशन के लिए सबसे अच्छा समय पीरियड्स टाइम के बंद होने के तुरत बाद का होता है. इस समय विमेन की बॉडी की कंडीशन ऐसी होती है कि आसानी से एग्जामिनेशन किया जा सकता है. दिस एग्जामिनेशन इज वेरी इंपार्टेंट.
Misconceptions...
ब्रेस्ट कैंसर को लेकर अक्सर लोगों में मिसकांसेप्शंस होते हैं. एक्सपट्र्स बता रहे हैं कुछ मिसकांसेप्शंस के बारे में...
1. ब्रेस्ट कैंसर केवल एक हेरिडिट्री डिजीज है.
डॉ. प्रीति: भले ही नानी, मां या मासी को ब्रेस्ट कैंसर होने से इसके होने के चांसेज बढ़ जाते हैं, लेकिन यही एक वजह नहीं है. एक सर्वे के मुताबिक केवल 20-30 परसेंट केसेस ही हेरिडिट्री होते हैं.
2. कैंसर से ब्रेस्ट रिमूव ही करवाने पड़ेंगे.
डॉ. सिद्धार्थ: ब्रेस्ट रिमूवल या मैसेक्टॉमी कैंसर की एडवांस स्टेजेस को ट्रीट करने के लिए ही यूज किया जाता है. इसीलिए ये जरूरी नहीं है कि पूरी ब्रेस्ट रिमूव ही करनी पड़े. रेडिएशन, कीमोथेरेपी, लंपैक्टॉमी (लंप को रिमूव करना) और क्वॉडे्रनटेक्टॉमी (वन-फोर्थ ब्रेस्ट रिमूवल) से भी डिसीज सही हो सकती है.
3. डाइट का ब्रेस्ट कैंसर से कोई रिलेशन नहीं है.
डॉ. प्रीति: बिल्कुल है. हाई फैट डाइट से एस्ट्रोजेन प्रोडक्शन बढ़ जाता है जिससे ट्यूमर ग्रोथ स्पीड अप होती है. ये एक बड़ा रिस्क फैक्टर है.
4. ब्रेस्ट फीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर के चांसेज कम हो जाते हैं.
डॉ. सिद्धार्थ: एक रीसेंट सर्वे के मुताबिक 15 महीने की ब्रेस्ट फीडिंग ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को 2 गुना तक कम कर देती है. पर ये हर लेडी के लिए सच नहीं है. कई ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट्स मैरिड लेडीज होती हैं जिनके बच्चे हैं.
5. हर लंप कैंसर से अफेक्टेड होता है.
डॉ. प्रीति: केवल 20 परसेंट लंप्स कैंसर की वजह से होते हैं. कुछ फीमेल्स के ब्रेस्ट नेचर से लंपी होते हैं. इसलिए केवल लंप होने से ये मान लेना कि ब्रेस्ट कैंसर है, सही नहीं होगा.
Help-line
2-Dehradun
Doon Hahila Hospital: 0135-2659236CMI Hospital:0135-2720411Mahant IND. Hospital: 0135-2728106, 2728103
3-Agra
Kamayani Hospital: 0562-2603658Pushpanjali Hospital: 9690017285
4- Allahabad
KNM: 0532-2466566MLN: 0532-9415453902Kirti C: 9936057008Bhola H: 0532-2460048
5-Gorakhpur
Medical College: 0551-2501736District Hospital: 0551-2332177Women Hospital: 0551-2333500Cancer Hospital: 0551-2283237
6-Jamshedhpur
MGM Hospital: 0657-2332138TMH Hospital: 0657-2431085Tinplate Hospital: 0657-2431173Mercy Hospital: 0657-2424018
7- Patna
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8- Meerut
Bhagyashri Hospital: 0121-2600539Astha Hospital: 0121-2688734Ashirwad Nursing Home: 0121-2511470Agarwal Nursing Home: 2511298
9-Ranchi
रेडियम कैंसर अस्पताल:- 9570512511क्यूरी अब्दुल रज्जाक कैंसर इंस्टिट्यूट:0651- 2275300राज अस्पताल: 0651-2306128सी सी एल अस्पताल: 0651-2314852Story: Akanksha Shukla