आंखों पर रखें नजर
जब पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाए तो आंखों को लेकर थोड़ा ज्यादा अलर्ट होने की जरूरत होती है. आई स्पेशलिस्ट डॉ. शालिनी मोहन के मुताबिक गर्मियों में आंखों की प्रॉब्लम्स के लिए तीन मेन फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं, पहला गर्म हवाएं, दूसरा धूल और तीसरा अल्ट्रा वायलेट रेज.
वह कहती हैं, ‘गर्म हवाएं जहां ड्राई आईज के लिए जिम्मेदार होती हैं वहीं धूल से आई इन्फेक्शंस हो सकते हैं. इसके अलावा अल्ट्रा वायलेट रेज
1. Heat
बॉडी में पानी की कमी का असर आंखों पर भी पड़ता है, आपको ड्राई आईज की प्रॉब्लम हो सकती है. अगर आपको ड्राई आईज की प्रॉब्लम पहले से है तो इस मौसम में आप को और ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है.
Solution: घर से पानी पीकर निकलें. ऑफिस पहुंचने पर सबसे पहले आंखों को पानी से धो लें, क्योंकि रास्ते में डिहाइड्रेशन से आंखों में ड्राइनेस शुरू हो चुकी होती है.
अगर कम्प्यूटर पर लम्बे वक्त तक बैठते हैं तो भी बीच-बीच में आंखों को धोते रहें. एसी चलाते हैं तो रूम में ह्यूमिडिटी का भी खयाल रखें.
कमरे में ह्यूमिडिटी कम होने पर भी ड्राई आईज की प्रॉब्लम हो सकती है. डॉक्टर्स की रिकमेंडेशन पर आप आई ड्रॉप भी रख सकते हैं.
2. Ultra violet rays
स्किन को धूप से हम जरूर बचाते हैं लेकिन कई बार आंखों को इग्नोर कर देते हैं. जबकि अल्ट्रा वायलेट रेज से कैटरेक्ट्स की प्रॉब्लम हो सकती है, कॉर्निया और आई लेंस भी को नुकसान हो सकता है.
Solution: सन ग्लासेज लगाकर ही धूप में निकलें. यह जरूर कंफर्म कर लें कि सनग्लासेज 99 से 100 परसेंट तक अल्ट्रा वायलेट रेज रोकने वाले हों.
सनग्लासेज अच्छे ब्रांड के हों और उसमें पावर बिल्कुल भी ना हो. अगर पावर हुआ तो आंखों को फायदे की जगह उल्टा नुकसान हो सकता है.
3. Dust
इस मौसम में धूल ज्यादा होती है. इससे आंखों में इन्फेक्शन के चांसेस बढ़ जाते हैं.
Solution: इंफेक्शन शुरू होते ही डॉक्टर्स से मिलें. एहतियात के तौर पर जब भी धूल वाले रास्ते से गुजरें तो आंखों को अच्छी तरह ढंक लें और घर या ऑफिस पहुंचने पर उसे सादे पानी से जरूर धो लें. इंफेक्शन की एक वजह स्विमिंग पूल में नहाना भी हो सकता है. अगर स्विमिंग पूल की रेग्युलर सफाई नहीं होती है या क्लोरिनेशन नहीं होता तो वहां नहाने से बचें.
अगर आप लेंस यूज करते हों...
आई स्पेशियलिस्ट