चंद दिनों पहले एक डॉगी हकीको की कहानी लोगों ने सुनी होगी। इसके बारे में बताया गया था कि रोजाना ये अपने मालिक के काम पर से वापस लौटने का समय पर इंतजार करता था। काफी लंबे समय तक ये अपने इसी रूटीन को निभाता रहा। आखिर में ब्रेनहैमरेज के कारण इसके मालिक ने दुनिया को अलविदा बोल दिया और इस डॉगी का ये रूटीन यहीं खत्‍म हो गया। ऐसे ही कई पालतु जानवरों की कहानी आपने सुनी होगी। इनमें से एक है ये डॉगी फीमेल डॉग मालू भी। आइए देखें क्‍या है मालू की कहानी इसके मालिक के लिए...।

वायरल हो रही मालू की ये कहानी
मालू की कहानी इन दिनों जबरदस्त तरीके से वायरल हो रही है। इसके बारे में बताया गया है कि ये वो डॉगी है जो एक तीर्थयात्री नवीन के साथ बिना किसी जान-पहचान के 700 किलोमीटर तक पैदल चला गया। नवीन ने उस मालू को मूकाम्िबका से सबरीमाला मंदिर तक की अपनी 700 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान देखा। उन्होंने जिस समय उसको देखा, तो देखकर चौंक गए। कारण था कि उनको इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वो मालू अब उनकी जिंदगी भर की साथी बनने वाली है।
यहां हुई मुलाकात
एक रिपोर्ट के अनुसार 38 वर्षीय नवीन जब अपनी 17 दिन की 700 किलोमीटर की यात्रा को सम्पन्न कर वापस लौटे, उस समय भी वो मालू उनके साथ ही थी। आपको बता दें कि वो मालू उस समय भी उनके साथ थी जब उन्होंने 23 दिसंबर को सबरीमाला से वापस घर आने के लिए KSRTC की बस पकड़ी। वहां मालू उनके साथ उनके बगल की सीट पर बैठकर उनके साथ उनके घर वापस आई।  
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यात्रा के दौरान चल रहे थे बच-बच के
नवीन, केरला स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारी हैं। उन्होंने 7 दिसंबर की सुबह अपनी यात्रा शुरू की थी। यात्रा के दौरान सबसे खास बात ये रही कि शुरू से ही वो सड़के के उन कुत्तों से बचकर चल रहे थे, जो उनके आसपास आ रहे थे। इसके बावजूद वो खुद बताते हैं कि पता नहीं क्यों मालू उनको उन सब कुत्तों से बिल्कुल अलग लगी।
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नवीन ने बताया
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि अपनी यात्रा में अभी वो 80 किलोमीटर ही आगे बढ़ पाए थे कि उन्होंने अपने साथ चल रही उस मालू पर गौर किया। उन्होंने और कुछ दूर तक देखा कि वो उनके कदम से कदम मिलाकर 20 मीटर की दूरी बनाकर चल रही है। कई बार उन्होंने उसको भगाने की कोशिश भी की, लेकिन वो डर के कुछ सेकेंड रुकी जरूर, लेकिन वहां से लौटी नहीं। बराबर से चलती रही। वो आगे चलती-चलती बार-बार रुक जाती और पीछे पलटकर उन्हें देखने लगती। मानों नवीन को आगे चलकर रास्ता बता रही हो।
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चल दी पीछे-पीछे
कुछ देर बाद नवीन भी उसको फॉलो करने लगे और उसी के पीछे-पीछे चल दिए। नवीन ने बताया कि जब उन्होंने कोज्हेइकोडे पार किया तो उनको इस बात का विश्वास हो गया कि अब ये उनका साथ नहीं छोड़ेगी। सिर्फ यही नहीं अपनी यात्रा के दौरान जब नवीन कभी खाना खाने या नहाने वगैरह जाते तो ये मालू उनके सामान की हिफाजत करती। आखिर में उनके साथ ही सो जाती।

रोज सुबह जगाती नवीन को
नवीन रोज सुबह 3 बजे ही उठकर अपनी यात्रा शुरू कते थे। ऐसे में मालू सुबह ठीक समय पर उनको उठाने का काम करती थी। वो उनके पैरों से उनको जगा दिया करती थी। नवीन कहते हैं कि पता नहीं उस मालू का उनसे क्या रिश्ता था जो वो ऐसे यात्रा के समय उनको मिली और फिर उनके साथ ही हो ली। यात्रा से वापस आने के लिए नवीन को वहां के एक स्थानीय अधिकारी की मदद लेनी पड़ी। उस वक्त उस अधिकारी को नवीन ने मालू के बारे में अपनी पूरी कहानी बताई।
अधिकारी ने किया खास इंतजाम
मालू की कहानी सुनकर वो अधिकारी भी जैसे जोश में भर गया। अब उन्होंने मालू के लिए खास इंतजाम करते हुए 460 रुपये की टिकट नवीन को दी। ताकि वो मालू भी उनके साथ सोते हुए आराम से वापस जा सके। नवीन ने बताया कि आखिर में मालू इतनी थक चुकी थी कि वो पूरे रास्ते बस में सोते हुए उनके साथ वापस लौटी। रास्ते में वो एक बार भी नहीं उठी। अब फिलहाल मालू नवीन के साथ उनके घर पर ही रहती है। नवीन ने उसके लिए एक लकड़ी का एक बड़ा सा घर भी बनाया है।

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Posted By: Ruchi D Sharma