जानें, क्या हैं वो तीन कारण, जो करते हैं इंडियन कारों को क्रैश टेस्ट में फेल
छोटी सी गाड़ी है जिंदगी पर बड़े खतरे की वाहक
भारत में घर से दूर रहकर जॉब करने वालों की संख्या इन दिनों में लगातार बढ़ी है. ऐसे में जॉब को लेकर आए दिन एक शहर से दूसरे शहर में स्थानंतरण करने वाली ऐसी मोबाइल फैमिलीज़ के लिए सस्ती और विश्वसनीय कारों में निसान की डटसन जैसी गाड़ियों ने अपनी एक खासी जगह बनाई है. ऐसे परिवारों के लिए बड़ी तादाद में शो रूम से निकलने वाली डटसन की गाड़ियां कितनी सेफ हैं, इस क्रैश टेस्ट ने इस मुद्दे पर गहराई से सोचने पर लोगों को मजबूर कर दिया है. NCAP का कहना है कि इस खूबसूरत सी दिखने वाली छोटी सी गाड़ी में चलना साफ तौर पर जिंदगी को एक बड़ा खतरा देना है.
क्या हैं गाड़ियों की नाकामी का पहला कारण
यहां पर बात करते हैं उन तीन खास प्वाइंट्स पर, जिनको अहमियत पर लेकर गाड़ियों को क्रैश टेस्ट में असुरक्षित और नाकाम घोषित कर दिया जाता है. पहला है एंटी लॉक ब्रेक्स, लेकिन हो सकता है कि इस गाड़ी की कीमत पर आप Saabaru जैसी गाड़ी की रेंज में मिलने वाली एंटी लॉक ब्रेक की सुविधा की अपेक्षा भी न कर सकें.
जानें, क्या है दूसरा कारण
दूसरी है कि इसमें एयर बैग्स की भी सुविधा नहीं है, लेकिन यहां भी वही बात लागू होती है कि शायद इस रेंज की गाड़ी में आप बेहतरीन सुविधा वाले एयर बैग्स की भी अपेक्षा न करें.
यह है तीसरा कारण
अब नंबर आता है तीसरे और सबसे बड़े कारण का. वह है कार के अंदर का पूरा स्ट्रकचर. NCAP ने अपने टेस्ट में कार के अंदर की बनावट को किसी दुर्घटना के स्तर पर बहुत असुरक्षित पाया. इन खामियों के बीच कोई फर्क नहीं पड़ता अगर आप ऐसी गाड़ियों के अंदर पूरा सेफ्टी सूट भी पहनकर बैठे हों, क्योंकि एकॉर्डेशन वह चीज है जो आपको मार देगा. दुर्घटना के वक्त झटका इतना जोरदार भी हो सकता है कि आपका चेहरा आपकी बॉडी को तेजी के साथ dashboard की ओर धक्का दे देगा. ऐसी स्थिति में आपकी गाड़ी का dashboard आपकी बॉडी को रोकने के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं होगा और तब कमी महसूस होगी सेफ ऐयरबैग की.
क्या कहना है NCAP के चेयरमैन का
इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ग्लोबल NCAP के चेयरमैन मैक्स मोसली (फॉर्मुला वन रेस से जुड़ा फेमस नाम) ने निसान की गो को बाजार में सेलिंग के लिए रोकना चाहा है. इंडियन मार्केट में अपनी इनवॉलवमेंट दर्ज कराते हुए मोसली ने कहा है कि इंडियन मार्केट अभी भी इतना विकसित नहीं हुआ है कि सस्ती गाड़ियों की अपेक्षा करने वाले यहां के लोग इन सभी सुरक्षा साधनों का वहन कर सकें. उन्होंने कहा कि वह इस बात की कल्पना भी नहीं करना चाहते और न ही तो इसे बार-बार दोहराना चाहते हैं कि आप गाड़ी में बैठें और बिना कुछ सोचे किसी बुरी दुर्घटना का आप शिकार हो जाएं. भारत में हुए एक रिसर्च के बाद यह तथ्य सामने आए हैं कि सन 2011 में इंडिया में सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 250,000 थी. इसी के साथ यह मानने में भी किसी को कोई गुरेज नहीं होगा कि गाड़ियों में सुरक्षा साधनों के अभाव में इंडिया में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा सबसे ज्यादा है.