वो शहर जिसने दुनिया को अपने पहाड़ बेच डाले
बॉलीवुड ने यहां की खूबसूरती को खूब इस्तेमाल किया है। स्विट्ज़रलैंड, बॉलीवुड के मशहूर फ़िल्म डायरेक्टर यश चोपड़ा की पहली पसंद था। उनकी कोशिश होती थी कि अपनी फ़िल्म का कम से कम एक गाना तो वो यहां ज़रूर शूट करें। शायद उनकी फिल्मों से ही आम भारतीयों ने स्विट्जरलैंड को ज़्यादा करीब से जाना।
स्विट्ज़रलैंड में भी एक ऐसी जगह है जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते। उसका नाम है। सेंट मॉरिट्स। ये अल्पाइन पर्वतों पर स्थित स्विट्ज़रलैंड का रिज़ॉर्ट टाउन है। यहां साल भर बर्फ़ की मोटी चादर बिछी रहती है। लोग यहां ना सिर्फ़ स्कीईंग के लिए आते हैं, बल्कि इसकी पहचान विंटर टूरिज्म रिजॉर्ट के तौर पर भी है।एक ऐसा देश जहां आप ही नहीं स्विट्जरलैंड वाले भी रहना चाहते हैं! ये हैं खूबियां... बर्फ़ के बावजूद पसीना आने लगा
लेकिन सेंट मॉरिट्स तक पहुंचते ही आसमान एक दम साफ़ हो गया। सभी को पसीने आने लगे और जैकेट उतारने पड़े। होटल का मालिक योहानिस शर्त जीत चुका था।
इसी के साथ सेंट मॉरिट्स के बेहतरीन मौसम के क़िस्से भी लोगों की ज़ुबान पर आने लगे। दूर तक बिछी बर्फ़ की सफ़ेद चादर और खिलते हुए सूरज का मज़ा लेने के लिए दूर-दूर से सैलानी यहां आने लगे।
यहां सैलानियों की तादाद इतनी बढ़ी कि बड़े-बड़े होटल खुलने लगे। 1896 में योहानिस बैड्रट के बेटे कैस्पर ने अपने पिता के नाम पर एक फ़ाइव स्टार होटल खोला जिसका नाम रखा, 'बैड्रट पैलेस'।इस होटल के मैनेजर का कहना है कि कुछ लोग शर्त वाली बात को महज़ एक कहानी मानते हैं। लेकिन ऐसा हक़ीक़त में हुआ था। इस शर्त से पहले लोग यहां सिर्फ़ गर्मी के मौसम में ही आते थे।सेंट मॉरिट्स की एक टूरिस्ट प्लेस के तौर पर मार्किटिंग का श्रेय पूरी तरह से योहानि बैड्रट को जाता है। जिस साल योहानिस ने शर्त लगाई थी, उसी साल स्विट्ज़रलैंड में पहला टूरिस्ट ऑफ़िस खुला। इस जगह से जुड़ी एक और कहानी है।खतरनाक सांपों का ये हॉट फोटोशूट देख उन से डरना छोड़ देंगे आप!
आधुनिकता का लिबास 21वीं सदी से पहली ही ओढ़ाइसके अलावा और भी ऐसी बहुत सी बातें और चीज़ें थीं जो यहां पहली बार हुई थीं। बैड्रट की कोशिशों से पहले तक यहां सिर्फ 75 सैलानियों के रहने का इंतज़ाम था। लेकिन धीरे-धीरे यहां सुविधाएं बढ़ाई गईं।
अगले 40 सालों में यहां दो हज़ार से ज़्यादा सैलानियों के रहने का इंताज़ाम हो गया। बैड्रट ने इस इलाक़े के आधुनिकीकरण के लिए भी बहुत कोशिशें कीं। 1879 में स्विट्ज़रलैंड में पहली इलेक्ट्रिक लाइट और स्ट्रीट लाइट एनगाडिनर कुल्म में ही लगाई गई थी।
इसी साल स्विट्ज़रलैंड में पहली बार फ्लश वाले टॉयलेट और पहला पनबिजली प्लांट लगाया गया था। 1882 तक आते-आते यहां आईस स्केटिंग के मुक़ाबले होने लगे। यूरोप में होने वाली ये पहली ऐसी प्रतियोगिता थी।सेंट मॉरिट्स की कहानी किसी इलाक़े के आमूल-चूल बदलाव की बड़ी मिसाल है।2018 के सीज़न में यहां नौवां फाइव स्टार होटल खुलने वाला है। अब यहां की अर्थव्यवस्था में विदेशी कंपनियों ने भी दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। लेकिन जो बात यहां के पारंपरिक होटलों में है वो कहीं और नहीं।मिस्र के पिरामिड की तरह बर्फ़ से ढके यहां के पहाड़ और मैदानों में बिछी सफ़ेद चांदनी का लुत्फ़ लेने का जो मज़ा यहां है वो कहीं और नहीं। इसका सेहरा पूरी तरह से योहानिस बैड्रट के सिर सजता है।International News inextlive from World News Desk