बंगलुरु में रहने वाले रमेश बाबू पेशे से नाई हैं। उनकी एक सैलून की दुकान है जिसमें वह सुबह-शाम आम लोगों के बाल काटते हैं। लेकिन रमेश की पहचान सिर्फ इसी से नहीं वह देश के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हैं जो रॉल्‍स रॉयस से चलते हैं और अरबपति हैं। आइए जानें रमेश बाबू के नाई से अरबपति बनने की कहानी....

फिल्मी कहानी से कम नहीं है उनकी कहानी
साल 1989 में रमेश बाबू के पिता का निधन हो गया। ऐसे में घर खर्च की पूरी जिम्मेदारी रमेश की मां के ऊपर आ गई। एक महिला सैलून की दुकान पर लोगों के बाल काट नहीं सकती थी। इसलिए उन्होंने दुकान को किराए पर उठा दिया। और वह खुद घर-घर जाकर बर्तन मांजने का काम करने लगीं। हालांकि उन्होंने रमेश को अच्छी शिक्षा दिलवाई और रमेश ने इलेक्ट्रानिक्स में डिप्लोमा किया। इसके बाद रमेश ने खुद ही अपनी दुकान पर बैठने का मन बनाया और लोगों के बाल काटने शुरु कर दिए।
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रॉल्स रॉयस पर बैठकर आते हैं बाल काटने
रमेश बाबू आज भले ही अरबपतियों में शामिल हैं लेकिन वह अपने पुराने बिजनेस यानी सैलून को नहीं छोड़े। रमेश रोज सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे लोगों के बाल काटते हैं। और बाकी समय अपनी ट्रैवल्स का बिजनेस संभालते हैं।
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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari