'तहरीर चौक पर मुझे निर्वस्त्र किया गया'
इस साल 25 जनवरी को हानिया मोहीब केवल एक ही जगह जाना चाहती थीं. उस दिन मिस्र की क्रांति की दूसरी वर्षगाँठ थी और वे तहरीर चौक गई थीं.वे बताती हैं, “मैं उस दिन तहरीर पर जाने को बेकरार थी. मैंने अकेले ही जाने का फ़ैसला किया क्योंकि न जाना तो विकल्प ही नहीं था.”मगर जब 43 साल की फ्रीलांस पत्रकार हानिया तहरीर चौक पर पहुँचीं, तो माहौल देखकर परेशान हो गईं. उन्होंने बताया, “कुछ तो गड़बड़ थी. माहौल नकारात्मक था. मैंने वहाँ से लौटने का फ़ैसला किया.”
मगर उन्हें वहाँ से निकलने का मौका ही नहीं मिला. वह बताती हैं, “अचानक मैंने ख़ुद को बहुत से मर्दों के घेरे में पाया, जो मेरे शरीर के हर अंग पर हमला कर रहे थे. उन्होंने मुझे नंगा ही कर दिया. उनके हाथ मेरे पूरे बदन पर थे. मुझे लगा कि मैं मरने वाली हूँ क्योंकि वो बहुत आक्रमक थे. शायद एक समय के बाद मैं बेहोश हो गई थी क्योंकि वो एक स्कार्फ़ के साथ मेरा गला घोंटने की कोशिश कर रहे थे.”कई हमलावर हानिया के पीछे-पीछे एंबुलेंस तक भी आए और वहां भी उन्होंने अपनी हरकतें जारी रखीं. ये सब आधे घंटे से ज़्यादा समय तक चला. ऐसे कई हमले तहरीर चौराहे पर हुए.
हानिया को कई मर्दों ने घेर रखा था और आसपास से गुज़रते लोगों को बता रहे थे कि वे किसी की मदद कर रहे हैं.क्रांति का बदरंग रूप