दुनिया के ये 9 देश जो सुपर पावर अमेरिका को घास भी नहीं डालते!
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और उनका पूरा परिवार अमेरिका का शायद सबसे बड़ा विरोधी है। चीन और रूस के गुपचुप सहयोग से नॉर्थ कोरिया ने तमाम सैन्य तकनीकें हासिल कर ली हैं और पिछले दिनों कथित हाइड्रोजन बम का सफल टेस्ट करके किम जोंग-उन ने अमेरिका खुली धमकी भी दे डाली है। भले ही बगल के देश साउथ कोरिया में अपने प्रभाव के चलते अमेरिका इस देश पर तमाम दबाव बनाने की कोशिश करता रहे लेकिन नॉर्थ कोरिया को दबा पाना फिलहाल यूएस के लिए पॉसिबल दिखाई नहीं देता।
ईरान भी उन देशों में शामिल है जो अमेरिका की कोई बात नहीं मानता। यहां के सख्त प्रेसीडेंट हसन रूहानी ने अमेरिकी दबाव के बावजूद US के साथ परमाणु डील साइन नहीं की और लगातार इसका विरोध करता रहा।
रूस का गठन होने से पहले तक बेलारूस सोवियत संघ का हिस्सा रहा है और काफी अर्से से बेलारूस और यहां के प्रेसिडेंट अलेक्जेंडर लुकाशेन्को अमेरिका का विरोध करते आ रहे हैं। क्रीमिया पर कब्जे को लेकर अमेरिका यूक्रेन का सपोर्ट करता है इसलिए बेलारूस के लिए वो मुश्किले खड़ी रहता है। यही कारण है कि बेलारूस में व्याप्त आर्थिक संकट के लिए जनता और यहां की सरकार अमेरिका को ही दोषी मानती है।
तजाकिस्तान पूर्व सोवियत यूनियन का देश रहा है। यूनियन खत्म होने के बाद देश के आर्थिक हालात काफी खराब हो गए, ऐसे में रूस का समर्थन करने के अलावा तजाकिस्तान के पास कोई चारा नहीं था। तजाकिस्तान के प्रेसिडेंट इमोमिली रहमान हैं जिन्हें अमेरिका के साथ रिश्ते रखने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। इसी वजह से तजाकिस्तान कभी अमेरिका की परवाह नहीं करता।
ऑस्ट्रिया यूं तो यूरोप का हिस्सा है लेकिन अमेरिका के पक्के विरोधी देशों ईरान और नॉर्थ कोरिया के साथ अच्छे व्यापारिक संबध होने के कारण ऑस्ट्रिया और यहां के प्रेसिडेंट हेंज फिशर को USA के साथ अच्छे रिश्ते रखने का लोभ नहीं है। ऑस्ट्रिया एडॉल्फ हिटलर का बर्थ प्लेस भी रहा है, जिसे अमेरिका से बहुत नफरत थी। यही नफरत आज भी यहां की नस्ल में कुछ हद तक जिंदा है।