कभी मधुमक्खियों ने रोका खेल तो कभी एक ओवर में बने 77 रन, ये हैं क्रिकेट के टॉप10 बिजार मोमेंट्स
जब कोई खिलाड़ी बिना एक भी गेंद खेले जीरो पर आउट हो जाता है तो उसे डायमंड डक कहते हैं। जबकि वो रन आउट से नहीं होता। क्रिकेट इतिहास में ऐसा सिर्फ दो मौकों पर हुआ जिसमें एक मौका भारतीय खिलाड़ी भुवनेश्वर कुमार के साथ हुआ था। भुवनेश्वर को एशिया कप के एक मैच में श्रीलंका के अंजता मेंडिस ने बिना एक भी गेंद खेले स्टंप आउट कर दिया था। डायमंड डक के पहले शिकार कनाडाई क्रिकेट खिलाड़ी हेनरी आसाइंड बने जिन्हें आयरलैंड के खिलाड़ी एलेक्स कॉसेक ने लेग साइड पर स्टंप कर दिया था।
मधुमक्खियों का मैदान पर हमला
2007 में जब इंग्लैंड की टीम श्रीलंका खेलने गयी तो लगा जैसे कीड़े मकोड़े भी उनकी टीम के खािलाफ हो गए थे। मैदान पर मैच के दौरान मधुमक्खियों के दल ने हमला कर दिया और उनसे बचने के लिए सारे खिलाड़ियों और अंपायर्स को मैदान पर ही लेट जाना पड़ा। इस मौके की तस्वीरें काफी दिनों तक चर्चा का विषय बनी रहीं। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ इसके बाद बारिश हुई और फील्ड को कवर करना पड़ा। जब कवर हटाया गया तो उसके नीचे ग्राउंडस मैन को ढेरों बिच्छु भी मिले।
आप सोच रहे होंगे ये कैसे हो सकता है पर ये हुआ था मिडिलसेक्स के खिलाड़ी साइमन कुक के साथ। कुक एक ही गेंद पर तीन तरीके से आउट हुए और तीनों के लिए अंपायर से अपील की गयी। पहली अपील लेग बिफोर आउट की थी जो गेंदबाज जोहान लाउन ने की, वो गेंट उनके पैर से टकराने के बाद बल्ले से लगी और ग्रीम स्वॉन के हाथें में समा गयी, उन्होंने कैच आउट की अपील की, इसके बाद जब स्वॉन ने कुक को क्रीज से बाहर निकलते देखा तो डायरेक्ट हिट से उनके गिल्लियां उड़ा दीं और रन आउट की अपील का शोर मच गया। आखिरकार अपने उस खराब दिन कुक कैच आउट घोषित किए गए।
77 रनों का ओवर
आप को लगता होगा ऐसा कैसे हो सकता है पर हुआ है। इन्हीं मौकों को उदाहरण बना कर क्रिकेट के नियमों में बदलाव आते हैं। न्यूजीलैंड के क्रिकेट खिलाड़ी बर्ट वेंस के लिए 1990 का वो मैच किसी डरावने सपने जैसा रहा जब उन्होंने एक ओवर में 17 नो बॉल कीं और 77 रन बनवाये। उनके इस ओवर में छह चौके और आठ छक्के लगे। बोलिंग और रन कुछ इस तरह रहे 04*4466461410666660*0*40*1* ये * का निशान जायज बॉल्स का है। जिसमें से कमाल ये है कि नो बॉल के चक्कर में अंपायर गेंदों की गिनती भी भूल गया और जायज बोल कुल पांच ही फेंकी गयीं।
कई बार कुछ ऐसा हो जाता है कि जीतने और हारने वाली दोनों टीमें समझ ही नहीं पतीं ये हुआ कैसे। ये घटना 2010 की है जब भारत दौरे पर आयी दक्षिण अफ्रीका की टीम जयपुर में खेल रही थी। मैच की आखिरी गेंद पर दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज चार्ल लेंगवेल्ट की परफेक्ट यॉर्कर को आशीष नेहरा पढ़ नहीं सके और उनका बल्ला सही समय पर नीचे नहीं आ सका। गेंद सीधी ऑफ स्टंप से टकराया और लगा मैच भारत हार गया। इसके बाद जो हुआ वो दक्षिण अफ्रीका के लिए बदकिस्मती और भारत के लिए खुशकिस्मती लेकर आया। गेंद विकेट से टकरा कर बाउंड्री के पार चली गयी, गिल्लियां गिरी नहीं और बाई के चार रन बन गए। भारत के बने कुल 298 रन वो एक रन से जीत गया।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लेंड के क्रिकेट प्रेमियों के लिए वैसे तो ऐशेज सीरीज के मैच हमेशा से ही खास होते हैं। पर 1950 में 1 से 5 दिसंबर के बीच खेला गया ऐशेज श्रंखला का पहला टेस्ट मैच दोनों टीमों के कप्तानों के अनोखे फैसलों के लिए खास तौर पर याद किया जाता है। बारिश से प्रभावित इस मैच ने अपनी पारियों को घोषित करने अनोखे फैसले लिए। इस मैच की पहली पारी में ऑस्ट्रलिया ने 228 रन बनाये। इसके बाद अगले दिन बारिश के चलते मैच हुआ नहीं तीसरा दिन रेस्ट डे था और चौथे दिन रात भर बारिश से गीली पिच के सूखने के बाद दोपहर बाद शुरू हुए मैच में इंग्लैंड ने सात विकेट पर 68 रन बना कर पारी घोषित कर दी। इसके बाद ऑस्ट्रलिया ने भी 7 विकेट पर 32 रन बना कर डिक्लेयर कर दिया। आखिरी दिन इंग्लैंड की टीम को चार विकेट के साथ 162 रन बनाने थे। हालाकि पूरे प्रयास के बावजूद वो केवल 122 रन बना सकी और ऑस्ट्रेलिया 70 रन मैच जीत गया।
जब दोनों टीम के विकेटकीपर बने बॉलर
वैसे तो अक्सर जब ये लगता है कि इस मैच का कोई फैसला नहीं निकलेगा तो कभी कभी मजाक के तौर पर विकेटकीपर भी बोलिंग करने आ जाते हैं। भारत की ओर से महेंद्र सिंह धोनी और दक्षिण अफ्रीका के एबी डिबिलियर्स को भी ऐसा करते देखा गया है। केवल एक ऐसा मौका आया है जब दोनों प्रतिद्वंदी टीमों के विकेट कीपर एक ही मैच में बोलिंग करने उतरे हों। 2013 में जोहांसबर्ग में हुए एक टेस्ट मैच के दौरान भारतीय कीपर धोनी और दक्षिण अफ्रीकी कीपर डिबिलियर्स दोनों ने बोलिंग की थी। इस मैच में धोनी ने दो और एबी ने एक ओवर फेंके।
कभी कभी किसी परेशानी की वजह से खिलाड़ी रिटार्यड आउट हो जाते हैं, पर विपक्षी टीम बल्लेबाजों को आउट ही ना कर सकें और वो खुद ही रिटार्यड आउट हो जायें ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है। बांग्लादेश के साथ टेस्ट सीरीज के दौरान श्रीलंका के मर्वन अटपट्टू और महेला जयवर्धने ने ऐसा उदाहरण पेश किया था। सीरीज के दूसरे मैच में ये दोनो खिलाड़ी सेंचुरी बना चुके थे और श्रीलंका का स्कोर पांच विकेट पर 555 रन हो चुका था। तब महेला ने 150 रन और मर्वन ने 201 रन बनाने के बाद रिटायर्ड आउट होने का फैसला किया। बाद में श्रीलंका एक इनिंग्स और 137 रन से मैच जीत गया।
आप माने या ना माने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच 1932 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया टेस्ट मैच महज पांच घंटे और 53 मिनट में समाप्त हो गया था। इस मैच में दक्षिण अफ्रीका की टीम महज 36 रन पर ऑल आउट हो गयी और बाद में खेलने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी उन्होंने 153 रन पर ही समेटने में कामयाबी हासिल कर ली। इसके बावजूद सेकेंड इंनिंग्स में भी वे कुछ कमाल नहीं कर सके और एक बार फिर पूरी टीम 45 रन पर सिमट गयी। नतीजा ये हुआ की उसी दिन ऑस्ट्रेलिया 72 रन और एक पारी से जीत गयी। ये टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे छोटा टेस्ट मैच साबित हुआ।
जीहां जब एक एक मेडेन ओवर फेंकने में गेंदबाज अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं, तब एक मैच ऐसा भी हुआ था जिसमें गेंदबाज ने लगातार 21 मेडेन ओवर फेंके। भारत के बापू नाडकर्णी ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट मैच में 12 जनवरी 1964 को कुल 121 डॉट बॉल फेंकीं थीं। यानि 21.5 ओवर और इन गेंदों उन्होंने एक भी रन नहीं दिया था। नाडकर्णी के आंकड़े उस मैच में 0.51 की इकॉनमी रेट से 32-27-5-0 के रहे।Cricket News inextlive from Cricket News Desk