अटल बिहारी वाजपेई भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ही नहीं बल्कि एक साहित्यकार हैं। अटल ने अपने जीवनकाल में कई किवताएं लिखीं हैं। इन कविताओं को वो अकसर अपने भाषणों के बीच मंच से दोहराया करते थे। पेश है उनकी कविता संग्रह की किताब 'मेरी इक्वावन कविताएं' से चुनी हुई ये पांच बेहतरीन कविताएं। यहां पढे़...


कानपुर। 1: कदम मिलाकर चलना होगाबाधाएं आती हैं आएंघिरें प्रलय की घोर घटाएं,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,निज हाथों में हंसते-हंसते,आग लगाकर जलना होगा।कदम मिलाकर चलना होगा।हास्य-रूदन में, तूफानों में,अगर असंख्यक बलिदानों में,उद्यानों में, वीरानों में,अपमानों में, सम्मानों में,उन्नत मस्तक, उभरा सीना,पीड़ाओं में पलना होगा।कदम मिलाकर चलना होगा।उजियारे में, अंधकार में,कल कहार में, बीच धार में,घोर घृणा में, पूत प्यार में,क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,जीवन के शत-शत आकर्षक,अरमानों को ढलना होगा।कदम मिलाकर चलना होगा।सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,असफल, सफल समान मनोरथ,सब कुछ देकर कुछ न मांगते,पावस बनकर ढलना होगा।कदम मिलाकर चलना होगा।कुछ कांटों से सज्जित जीवन,प्रखर प्यार से वंचित यौवन,नीरवता से मुखरित मधुबन,परहित अर्पित अपना तन-मन,


जीवन को शत-शत आहुति में,जलना होगा, गलना होगा।क़दम मिलाकर चलना होगा।2: दो अनुभूतियां-पहली अनुभूतिबेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूंगीत नहीं गाता हूंलगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहरअपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूंगीत नहीं गाता हूं

पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांदमुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूंगीत नहीं गाता हूं-दूसरी अनुभूतिगीत नया गाता हूंटूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वरपत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुरझरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रातप्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूंगीत नया गाता हूंटूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकीअन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकीहार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूंगीत नया गाता हूं3: दूध में दरार पड़ गईखून क्यों सफेद हो गया?भेद में अभेद खो गया।बंट गये शहीद, गीत कट गए,कलेजे में कटार दड़ गई।दूध में दरार पड़ गई।खेतों में बारूदी गंध,टूट गये नानक के छंदसतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।वसंत से बहार झड़ गईदूध में दरार पड़ गई।अपनी ही छाया से बैर,गले लगने लगे हैं ग़ैर,ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।बात बनाएं, बिगड़ गई।दूध में दरार पड़ गई।4: एक बरस बीत गया   झुलासाता जेठ मास शरद चांदनी उदास सिसकी भरते सावन का अंतर्घट रीत गया एक बरस बीत गया  

सीकचों मे सिमटा जग किंतु विकल प्राण विहग धरती से अम्बर तक गूंज मुक्ति गीत गया एक बरस बीत गया  पथ निहारते नयन गिनते दिन पल छिन लौट कभी आएगा मन का जो मीत गया एक बरस बीत गया5: मनाली मत जइयोमनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में। जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज़ में। जइयो तो जइयो, सन्देसा न पइयो, टेलिफोन बिगड़े हैं, मिर्धा महाराज में। जइयो तो जइयो, मशाल ले के जइयो, बिजुरी भइ बैरिन अंधेरिया रात में। जइयो तो जइयो, त्रिशूल बांध जइयो, मिलेंगे ख़ालिस्तानी, राजीव के राज में। मनाली तो जइहो। सुरग सुख पइहों। दुख नीको लागे, मोहे राजा के राज में।पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक, एम्स में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखे गएपूर्व पीएम अटल अभी भी AIIMS में भर्ती, हालचाल लेने पहुंचे ये चार मुख्यमंत्री

Posted By: Vandana Sharma