सीरिया शांति वार्ता पर नहीं बनी सहमति
हालांकि ब्राहिमी ने कहा कि वह अब भी कोशिश कर रहे हैं कि वार्ता इस साल के अंत तक हो जाए.वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों से दिनभर चली बैठक के बाद ब्राहिमी ने कहा कि वे वार्ता की कोई तारीख़ तय नहीं कर पाए हैं.इस शांति सम्मेलन को लेकर कई महीनो से कोशिशें चल रही हैं. वार्ता के मुख्य मुद्दों और प्रतिभागियों को लेकर विवाद बना हुआ है.ब्राहिमी ने कहा है कि वह अमरीकी और रूसी कूटनीतिज्ञों से 25 नवंबर को दोबारा मिलेंगे.ब्राहिमी का कहना था कि ''आज सुबह हमारी अहम बैठक हुई है. हमने एक बार फिर जिनेवा सम्मेलन की तैयारियों से जुड़े सारे मुद्दों पर बात की लेकिन हम इस स्थिति में नहीं हैं कि आज कोई तारीख़ घोषित कर सकें. लेकिन हमें अब भी उम्मीद है कि ये साल ख़त्म होने से पहले हम कांफ़्रेंस कर सकेंगे.''बैठक
"हमने एक बार फिर जिनेवा सम्मेलन की तैयारियों से जुड़े सारे मुद्दों पर बात की लेकिन हम इस स्थिति में नहीं हैं कि आज कोई तारीख़ घोषित कर सकें. लेकिन हमें अब भी उम्मीद है कि ये साल ख़त्म होने से पहले हम कांफ़्रेंस कर सकेंगे."-लखदर ब्राहिमी, संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग के दूत
उन्होने ये भी कहा कि मंगलवार की बैठक में कुछ भी नाटकीय नहीं हुआ और तारीख़ पर रज़ामंद ना हो पाने का अंदेशा पिछले कई हफ़्तों से था.ब्राहिमी ने अमरीकी उपविदेश मंत्री वेंडी शरमन और रूस के उपविदेश मंत्रियों मिखाइल बोगदानोव और गनाडी गतिलोव से मुलाक़ात की.बाद में वे सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी सदस्यों यानी ब्रिटेन फ्रांस, चीन के अलावा सीरिया के पड़ोसी देशों लिबनान, इराक़, जॉर्डन और तुर्की के प्रतिनिधियों से भी मिले.सीरिया शांत सम्मेलन का विचार सबसे पहले मई में सामने आया था. सितंबर में सीरिया पर रासायनिक हथियारों से संबंधित बाध्यकारी प्रस्ताव पारित होने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने मध्य नवंबर में वार्ता की घोषणा की थी.ब्राहिमी का कहना है कि सीरिया में हालात को देखते हुए बान की मून वार्ता को लेकर उत्सुक हैं.समस्या
विपक्ष बंटा हुआ है, सीरियाई सरकार बदलाव पर बातचीत के लिए तैयार नहीं दिखती और ऐसा लगता है कि अमरीका और रूस भी इस बात पर सहमत नहीं हो पाए हैं कि सीरिया का प्रमुख पड़ोसी देश ईरान इस वार्ता में मौजूद होगा या नहीं.सीरिया सरकार आख़िरकार बातचीत में हिस्सा लेने की उम्मीद रखती है लेकिन विपक्ष का कहना है कि पहले राष्ट्रपति बशर अल-असद को पद छोड़ना होगा.हालांकि कि राष्ट्रपति की सलाहकार बूथेयना शाबान का कहना है कि असद का पद छोड़ना कोई मुद्दा नहीं है और वे ऐसा तभी करेंगे जब उन्हें मतदान में हार का सामना करना पड़ेगा.