आपको कोई एयरपोर्ट क्यों याद रह जाता है? कोई यात्री किसी एयरपोर्ट को लंबी कतार एजेंटों के चेहरे खाने-पीने के महंगे समान या फिर फ़्लाइट में हुई देरी या उसकी लाउंज के लिए याद नहीं रखता.


जब बीबीसी ट्रैवल ने ये सवाल वेबसाइट क्योरा डॉटकॉम पर डाला तो यूज़र्स का कहना था कि एयरपोर्ट टेक-ऑफ़ या लैंडिंग के ख़ास अनुभवों को कारण याद रह जाते हैं.आम तौर पर एयरपोर्ट की हवाई पट्टी या रनवे की लंबाई 1800 मीटर से लेकर 2400 मीटर तक होती है. लेकिन जिन छह रनवे को क्योरा यूज़र्स ने सिलेक्ट किया, वो न केवल लंबाई में छोटे हैं बल्कि ख़तरनाक लेकशन में भी हैं.नेपाल: तेनज़िंग-हिलेरी एयरपोर्ट - पहाड़ और खाई के बीचनेपाल के तेनज़िंग-हिलेरी एयरपोट के रनवे को आप रोमांच का दूसरा नाम कह सकते हैं. हिमालय की चोटियों के बीच बसे शहर लुकला में है 460 मीटर लंबा रनवे.इसके चलते यहां केवल छोटे विमान और हेलीकाफ्टर ही उतर सकते हैं. रनवे के उत्तर में पहाड़ की चोटियां हैं तो दक्षिण में 600 मीटर गहरी खाई. एक चूक हादसे का सबब बन सकती है.
क्योरा वेबसाइट का इस्तेमाल करने वाली एमी रॉबिंसन बताती हैं, "माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले लोग इसी एयरपोर्ट पर उतरते हैं. दुनिया के सबसे ख़तरनाक एयरपोर्ट्स में से एक है ये."स्कॉटलैंड: बारा एयरपोर्ट - बीच ही है रनवेमालदीव के माले इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ान भरना पायलटों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है.


यह दुनिया का इकलौता ऐसा एयरपोर्ट है जो अलकतरा (एसफ़ॉल्ट) से बना हुआ है और समुद्री तट से केवल दो मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.यह एयरपोर्ट द्वीप के एक छोर से शुरू शुरू होकर दूसरे छोर तक जाता है. पायलट की एक छोटी सी चूक से हवाई जहाज सीधे हिंद महासागर में जा गिरेगा.क्योरा वेबसाइट इस्तेमाल करने वाले पीटर बास्करविल कहते हैं, "यह दुनिया के चुनिंदा एयरपोर्ट में शामिल है जो पानी से शुरू होकर पानी पर ही खत्म हो जाता है."हुलहुले द्वीप उस समूह का हिस्सा है जो 90,000 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है. इसमें कुल 1,192 द्वीप हैं. हुलहुले द्वीप का पूरा इस्तेमाल केवल एयरपोर्ट के लिए किया गया है.यहां उतरने के बाद पर्यटकों को स्पीडबोट्स की मदद से अपने दूसरे ठिकाने तक पहुंचना होता है.साबा: इरास्किन एयरपोर्ट - सबसे छोट रनवेक्यूरो के एक दूसरे यूज़र धारिया मानेक के मुताबिक कैरेबियाई द्वीप साबा के जूयानको ई इरासकिन एयरपोर्ट पर लैंड करना कमज़ोर दिल वालों के लिए नहीं है.क्योरा की यूज़र इरीन विटलॉक के मुताबिक, "नसें खींच देने वाला अनुभव है यहां उतरना. लेकिन ये बेहद ख़ूबसूरत है."

टेलूराइड का सिंगल रनवे, रॉकी पर्वत के एक हिस्से पर बना हुआ है, इसके सामने 300 मीटर की गहराई पर सान मिगुल नदी बहती है.हालांकि 2009 में निर्माण कार्य करके इस रनवे को सुरक्षित बनाया गया है. अब यहां बड़े विमान भी उतर सकते हैं.एयरपोर्ट के अधिकारी हिदायत देते हैं कि सिंगल और लाइट ट्विन इंजन वाले विमान वहां रात में न उतरें. वहां 30 नाट से ज्यादा की हवा और 15 माइल्स से कम की विज़िबिलिटी पर उड़ान भरने की भी इजाजत नहीं है.हांगकांग: काई टाक - घरों में झांकते हुए लैंडिंगहांगकांग का काई टाक एयरपोर्ट भी बेहद ख़तरनाक था. इतना ख़तरनाक कि यात्री यहां लैंड करने को - काई टाक हार्ट अटैक कहते थे.क्योरा के यूज़र जेय वाकर बताते हैं, "अब ये एयरपोर्ट इस्तेमाल में नहीं है. लेकिन 1925 से 1998 तक यहां विमान उतरते और उड़ते रहे हैं. यहां से उड़ान भरना या उतरना दुनिया के आश्चर्यों में एक था. इसके दोनों तरफ ऊंची इमारतें थीं. ख़ासकर 747 विमान का उतरना यहां डराने वाला अनुभव था. उड़ान भरते और उतरते वक्त विंडो सीट से आप लोगों के घरों में आसानी से झांक सकते थे."वैसे ये रनवे भी बड़े विमानों के लिए छोटा था.

Posted By: Satyendra Kumar Singh