पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ के एक गांव की रहने वाली मंजू बदला हुआ नाम क्या 'लव जिहाद' का शिकार हुई है? क्या उन्हें जबरन अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया गया? क्या यह सब कुछ एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था या इसमें कहीं प्यार भी था? इन सवालों पर उत्तर प्रदेश के इन इलाक़ों में आज कल बहस छिड़ी हुई है.


मंजू ने पुलिस को दिए अपने बयान में आरोप लगाया है कि उसके साथ यह सब कुछ उसे धोखे में रखकर किया गया. पुलिस मंजू के आरोपों की जांच कर रही है.सहारनपुर के नुमाईश चौक के पास रहने वाली रीना (बदला हुआ नाम) की कहानी भी मंजू से मिलती जुलती है.उनका आरोप है कि झांसा देकर उनसे शादी की गई और शादी के बाद उन पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव डाला गया.सहारनपुर से बीबीसी संवाददाता सलमान रावी की ख़ास रिपोर्ट.मंजू के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को प्रेम के चक्कर में फंसाया गया और फिर उनका शोषण किया गया. वो कहते हैं कि यह सब कुछ एक सुनियोजित तरीक़े से किया गया है.


हक़ीक़त में क्या इस तरह के 'लव जिहाद' और 'प्रेम युद्ध' का कोई अस्तित्व भी है? इसका कोई ठोस प्रमाण किसी के पास नहीं है.मगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन दिनों 'लव जिहाद' के मुद्दे पर ख़ासी राजनीतिक सरगर्मी है. इन इलाक़ों में होने वाले हर अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह को 'लव जिहाद' और 'प्रेम युद्ध' के रूप में ही देखा जा रहा है.

कुछ हिन्दू संगठनों की ओर से अंतर धार्मिक शादियाँ करने वाली लड़कियों की 'घर वापसी' के प्रयास शुरू हो गए हैं. यह काम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है और इसके लिए बाक़ायदा अभियान भी शुरू किए गए हैं.आत्मरक्षा का प्रशिक्षणसहारनपुर शहर के 'नुमाईश चौक' के पास एक गौशाला के प्रांगण में कुछ लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह प्रशिक्षण राकेश नाम के उस्ताद दे रहे हैं. वो लड़कियों को सड़कों पर मनचलों से बचने के गुर सिखा रहे हैं.इसी प्रांगण में युवकों का एक और समूह है जो 'लव जिहाद' से लड़कियों को बचाने का संकल्प ले रहा है.इस समूह का नेतृत्व 'वन्दे मातरम मिशन' के विजयकांत चौहान कर रहे हैं जिनका दावा है कि उन्होंने समाज की कई लड़कियों को 'लव जिहाद' के चंगुल से छुड़ाया है.वो कहते हैं कि प्रेम के चक्कर में फंसकर अपना धर्म परिवर्तन कर शादी करने वाली लड़कियों को वापस अपने धर्म पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं.इस अभियान में संघ परिवार से जुड़े कई और संगठन भी शामिल हैं.अभियान'वन्दे मातरम मिशन' ने कार्ड और पैम्फ़लेट छपवाकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें बांटने का अभियान भी शुरू किया है.

इन पैम्फ़लेटों और कार्डों में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के संपर्क नंबर दिए गए हैं और एक हेल्पलाइन भी शुरू की गई है जिसमें इस तरह की अंतर-धार्मिक शादी करने वाली युवती के परिवार वाले संपर्क कर मदद मांग सकते हैं.इन पैम्फ़लेटों में कहा गया है कि घरवाले अपनी बेटियों के मोबाइल फ़ोन की हर रोज़ जांच करें और घर पर काम करने आने वाली के साथ-साथ टीवी, फ्रिज या गाड़ियों के मैकेनिकों पर नज़र रखें.विजयकांत चौहान का दावा है कि उनके संगठन ने इस तरह होने वाली शादियों में हस्तक्षेप कर कई लड़कियों को उनके घर वापस भेजने में अहम भूमिका निभाई है.उनका आरोप है कि एक समुदाय विशेष के युवक सुनियोजित तरीक़े से उनके समाज की लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसा लेते हैं और फिर उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं.उनका यह भी आरोप है कि ऐसी लड़कियों को कुछ महीनों या सालों बाद छोड़ दिया जाता है और वो कहीं की नहीं रह जाती हैं.मदरसों पर इल्ज़ाम
विजयकांत चौहान के अनुसार इस तरह के 'लव जिहाद' का चलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ गया है जिस वजह से इस तरह का अभियान चलाना उनकी मजबूरी है.
चौहान का आरोप है कि 'लव जिहाद' का केंद्र मदरसे ही हैं जहां युवकों को इसके लिए प्रेरित किया जाता है.मगर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से गठित मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष क़ाज़ी जैनुल साजिदीन ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि अगर इन आरोपों में दम होता तो फिर मदरसों में पढ़ाने और पढ़ने वाली हर लड़की का धर्म परिवर्तन हो गया होता. जबकि ऐसा नहीं है.मेरठ के एक मदरसे में पढ़ाने वाली युवती के धर्म परिवर्तन के आरोपों को ग़लत बताते हुए उन्होंने कहा कि लड़की ने जो हलफ़नामा दाख़िल किया था उसमें उन्होंने कहा है कि वह अपनी मर्ज़ी से अपना धर्म बदल रही है. मदरसे में किसी ने उनपर धर्म परिवर्तन का कोई दबाव नहीं डाला.

Posted By: Bbc Hindi