यदि मैं कहूँ कि इस सप्ताह आप जो कुछ भी पढ़ रहे हैं उसमें ये सबसे महत्वपूर्ण लेख है तो संभव है कि आप विश्वास न करें.


यदि मैं कहूँ कि आपके तीन चौथाई दोस्त इससे सहमत हैं, तब आप क्या कहेंगे?या फिर, यदि मैं आपकों ये बताऊँ कि आपकी उम्र, शिक्षा और वेतन वाले हर 10 में से 9 लोगों ने माना कि ये लेख आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है, तब तो शायद आप मेरी बात मान ही लेंगे.ये केवल उदाहरण है उन मनोवैज्ञानिक ट्रिक्स या चालाकियों का जिन्हें सेल्समैन, समझते बूझते हुए, या फिर अनजाने में चीज़े आपको बेचने के लिए इस्तेमाल करता है.हमें ये कहते हुए काफ़ी गर्व महसूस होता है कि हमें कोई ऐसे तरीकों से चकमा नहीं दे सकता, हम इन ट्रिक्स से मूर्ख बनने वालों की श्रेणी से ऊपर उठ चुके हैं.वैज्ञानिक सबूत ये बताते हैं कि ऐसा नहीं है. तो फिर इन ट्रिक्स के इतने कारगर साबित होने का कारण क्या है?1. झूठी तुलना करना
इसकी शुरुआत सैकेंड-हैंड या इस्तेमाल हो चुकी कारों को बेचने के लिए हुई थी. 2000 के शुरुआती सालों में रिसर्च के नाम पर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ेसर रार्बट लेवाइन ने एक प्रयोग किया.पहचान बताए बिना उन्होंने ऐसी कारों की बिक्री करने वाले एक डीलर के यहां सेल्समैन का काम किया. था.


उन्होंने अपनी पुस्तक 'द पावर ऑफ़ परसूएसन: हाउ वी आर बॉट एंड सोल्ड,' में अपने अनुभवों का ज़िक्र किया है.सांटा क्लारा यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर जेरी बर्जर ने इस मसले पर काफी अध्ययन किया. उन्होंने मैनिपुलेट करने वाली सेल्स तकनीक और सामान खरीददारी के हमारी नब्ज़ को पकड़ने की कोशिश की.एक सीरीज़ में किए गए प्रयोग के तहत बर्जर और उनके साथियों ने ऐसी मुलाकातों को तय किया जिनमें एक ही जन्म दिन और एक ही नाम वाले लोगों से मुलाकात की गई.फिर उसका असर व्यवहार पर देखा गया और ये देखने की कोशिश की गई कि क्या हमारा व्यवहार बदलता है?पहले अध्ययन के दौरान, अंडरग्रेजुएट छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान की एक प्रयोगशाला में काम सौंपा गया. कुछ ही दिनों में प्रतिभागियों को मालूम हो गया कि उनके जन्मदिन एक ही हैं. इसके बाद इन लोगों ने 'अपने जन्मदिन वाले' लोगों के साथ काम करने में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई.दूसरे अध्ययन में एक महिला से डोनेशन मांगने वाली लड़की को तब दोगुना डोनेशन मिला जब महिला को ये पता चलता है कि उन दोनों के नाम एक ही हैं.3. मांग को लेकर भ्रम पैदा करना

सामान बेचने की एक तकनीक ये भी है कि उत्पाद के बारे में दूसरे लोग बोलें. राबर्ट किल्डिनी, नोह गोल्डस्टीन और स्टीव मार्टिन ने अपनी बेस्ट सेलिंग किताब 'येस ! 50 साइंटिफिकली प्रूवन वेज़ टू बी परसूएसिव' में कोलीन स्ज़ॉट के बारे में लिखा है.अगर आप सारे फायदे एक ही बार में गिना दें तो बिक्री के लिहाज से ज्यादा फ़ायदा नहीं होता.जब आप कार खरीदते हैं तो कार का सेल्समैन आपसे कुछ अतिरिक्त चीज़े खरीदने का अनुरोध भी इसी लिहाज से करता है.वो जानते हैं कि आप ख़ासा खर्च कर चुके हैं फिर आप यदि आपसे उसके ऊपर 200 डॉलर का खर्चा करने को कहा जाए, फ़ायदे बताने के बाद, तो आप मान जाएँगे.5. आभार जताने की भावनाकुछ अध्ययन ये भी बताते हैं कि जब लोग किसी से मदद लेते हैं तो उसके प्रति आभारी महसूस करते हैं.2004 का एक अध्ययन बताता है कि अगर खरीददारी से पहले व्यक्ति को कोई दुखद वीडियो दिखाया जाए तो वो 30 फीसदी ज्यादा खर्च करता है.एमोशनल लोगों पर 2004 की एक स्टडी के मुताबिक, ये लोग नंबरों का फ़र्क करने और तार्किक फ़ैसले करने में पिछड़ जाते हैं और सेल्समैन उसी मौके का फ़ायदा उठाता है.
लेवाइन के मुताबिक बिक्री की तकनीक में थोड़ी कला भी है और थोड़ा विज्ञान भी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh