आज के डिजिटल दौर में जब जानकारी ताकत है क्या यह मानना ठीक होगा कि गूगल इस वक़्त दुनिया की सबसे ताकतवर कंपनी है? गूगल ने आज तक किसी भी कंपनी से ज़्यादा जानकारी जमा करके डिजिटाइज़ की उसका विश्लेषण किया और फिर पेश की है।

गूगल आपके बारे में किसी से भी ज़्यादा जानता है। क्या सरकार जानती है कि आपके घर में कुत्ता है या नहीं? गूगल जानता है।

लेकिन ताक़त के साथ ही ज़िम्मेदारी भी आती है। ताक़तवर से उम्मीद होती है कि वह अपनी ताक़त का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए करेगा।

लेकिन क्या एप्पल, फ़ेसबुक और अमेज़न जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियां इस कसौटी पर खरी उतरती हैं?

 

अपने उत्पादों का प्रचार?
इंटरनेट पर अपने व्यापार का प्रचार कैसे करें, इसका ट्रेनिंग मॉड्यूल मोटे तौर पर यह बताता है कि गूगल एडवर्ड्स का इस्तेमाल कैसे करें। एडवर्ड्स गूगल की वह सेवा है जो पैसे लेकर कंपनियों के नतीजे गूगल सर्च में दिखाती है।

एक कंपनी के लिए अपने उत्पाद का प्रचार करना स्वाभाविक है लेकिन जब उस कंपनी के पास वह प्लैटफ़ॉर्म हो जिसमें सारी दुनिया जानकारी ढूंढती है, तब यही सामान्य सी बात समस्या बन जाती है। जब आप गूगल में

खरीदारी के लिए कुछ ढूंढते हैं तो दाम की तुलना करने वाले विज्ञापन सबसे ऊपर नज़र आते हैं। ये तुलना गूगल करता है।

कंपनी पर आरोप लगाया जाता है कि ऐसी तुलना से ग्राहकों की राय पर असर पड़ता है। गूगल जो दिखाना चाहता है वो शीर्ष पर दिखता है और बाक़ी कंपनियों के नतीजे नीचे खिसक जाते हैं। यूरोपियन यूनियन ने इस सिलसिले में गूगल पर 2.4 अरब यूरो का जुर्माना भी लगाया था जिसके ख़िलाफ़ गूगल ने अपील की थी।

ज़ीरो टैक्स वाली जगहों में पहुंचाया मुनाफ़ा?
रूथ पोराट को इसमें कुछ ग़लत नहीं लगता। उन्होंने कहा, "यह नियम हमने नहीं बनाए, हम बस उनका पालन कर रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई कर सुधार होता है तो हम उसका स्वागत करेंगे और उसे मानेंगे।"

अच्छा, क़ानून की जाने दीजिए, क्या आपको नैतिक स्तर पर यह ठीक लगता है?

रूथ कहते हैं, "हमारा मानना है कि हम समुदाय की सेवा करते हैं। डिजिटल गैराज भी ऐसा ही एक क़दम है। हम छोटे-बड़े कारोबारों को आगे बढ़ने में मदद करते हैं जिससे रोज़गार बनते हैं और आर्थिक विकास होता है। हमें अपने काम पर गर्व है।"

कंपनियों को कुछ ग़लत नहीं लगता
बहुत सी कंपनियां कानूनी तौर पर ज़रूरी टैक्स से एक पाई ज़्यादा नहीं भरना चाहती।

यूरोप के अधिकारी और नेता इस पर नाराज़गी जताते रहे हैं। फ़्रांस के इमैनुअल मैक्रों ने हाल ही में तकनीकी कंपनियों को 'आधुनिक समाज का मुफ़्तखोर' बताया था।

लेकिन तकनीकी कंपनियों को पता है कि उनके पास ग्राहक वफ़ादार हैं। शायद इसलिए उन्हें वाक़ई नहीं लगता कि वे कुछ ग़लत कर रही हैं।

Posted By: Chandramohan Mishra