जानें असली बाहुबली की कहानी, कर्नाटक में है 57 फुट ऊंची प्रतिमा
अदभुत कौशल की कहानी
आज इस दुनिया में वर्चुअल बाहुबली को देखकर सब हैरान हो रहे हैं। एसएस राजामौली की फिल्म में बाहुबली का एक्शन, लुक देखकर लोग काफी खुश हैं। उन्हें बाहुबली बस एक कल्पना लग रहा है। ऐसे में लोगों को यह जानना है कि इस दुनिया में हकीकत में भी बाहुबली है। जी हां कर्नाटक में उनकी 57 फुट ऊंची प्रतिमा बनी है। ये बाहुबली कोई और नहीं ऋषभदेव के पुत्र हैं। बाहुबली को गोम्मटेश भी कहा जाता है। उनकी यह मूर्ति कनार्टक के श्रवणबेलगोला में स्थित है। में जैन मान्यता के अनुसार बाहुबली अपने बड़े भाई भरत चक्रवर्ती से युद्ध के बाद मुनि के रूप में जाने गए। बाहुबली ने करीब एक वर्ष तक कायोत्सर्ग मुद्रा में ध्यान किया। जिसके पश्चात् उन्हें केवल अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई। यह प्रतिमा आज भी उनके पराक्रम और अदभुत कौशल की कहानी कहती है। यह प्रतिमा प्राचीन काल में बनी थी।
इसके लिए भरत ने बाहुबली को दासता स्वीकार करने के लिए पत्र भेजा लेकिन बाहुबली ने इनकार कर दिया। इसके बाद गुस्साए भरत ने एक बड़ी सी सेना लेकर छोटे से राज्य वाले बाहुबली के राज्य में आक्रमण कर लिया। लोग हैरान थे कि ऋषभदेव तो अंहिसा के पथिक हैं। ऐसे में उनके पुत्रों में युद्ध कैसे संभव है। इस पर तीन तरह के युद्ध की रणनीति तैयार हुई। जिसमें सबसे पहले दृष्टि युद्घ हुआ, उसके बाद जल युद्घ और मल्ल युद्घ हुआ। इन तीनों ही युद्धों में भरत को हार का सामना करना पड़ा। उन्हें यकीन नहीं था कि बाहुबली उन्हें हरा देगा। हालांकि भरत को जीतने के बाद बाहुबली ने वैराग्य लेने का निश्चय लिया। उन्हें लगा कि राज्य के मोह में ही ये भाईयों की लड़ाई हुई है। इसके बाद वह अपना राजपाट भरत को सौंप कर चले गए। इसके बाद गंग शासक रचमल्ल के शासनकाल में चामुण्डराय नामक मंत्री ने बाहुबली की प्रतिमा बनवाई थी। यह प्रतिमा 12 साल में तैयार हुई थी।ईमानदारी! 2 करोड़ रुपये की रिश्वत ठुकरा कर, 7 करोड़ की अवैध शराब पकड़वा दी
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