इस परिवार में लोगों के नाम अमरीका, एशिया, रशिया हैं
इस परिवार ने अपना ली दुनिया!
जी हां, इस अनोखे परिवार के सदस्य रशिया, अमरीका, एशिया और अफ्रीका ख़ासतौर से हाल ही में रक्षाबंधन मनाने के लिए अपने घर लौटे और ख़ुशी-ख़ुशी भारत से मिले।
'सारे बच्चे एक जैसे होते हैं!'
लेकिन अहम सवाल तो यह है कि दादी सुभद्राबाई को इस तरह नाम रखने का ख़याल आया तो कैसे?
यह उन दिनों की बात है जब समाज में ऊंच-नीच के भेदभाव के ख़िलाफ़ डॉ। भीमराव अम्बेडकर संघर्ष कर रहे थे और उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था।
सुभद्राबाई वैसे अनपढ़ थीं लेकिन उन्हें एक सवाल हमेशा परेशान करता था। वह कहती थीं, "मैंने सभी समाज के हज़ारों बच्चे पैदा होते देखे हैं। सब एक जैसे होते हैं। कोई फ़र्क़ नहीं होता। फिर बाद में ये दीवारें क्यों खड़ी हो जाती हैं। इसी सोच से यह ख़याल उपजा।"भारत उर्फ़ सुभाष कहते हैं, "कुल मिलाकर बात यह है कि हमें विश्व के सभी खंडों को एक छत के नीचे लाने में 38 साल लग गए। अब बहन अमरीका ने अपने बेटों के नाम राष्ट्रपाल यानी राष्ट्रपति और राज्यपाल रखे हैं।"दुनिया की खूबसूरत फीमेल बॉडीगार्ड, कोई करती है मॉडलिंग तो कोई फिल्मों में एक्शन हीरोईनInteresting News inextlive from Interesting News Desk