भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार शाम शिलॉन्ग में निधन हो गया।


डॉक्टर कलाम के सहयोगी श्रीजन पाल सिंह ने उनके अंतिम दिन का ब्यौरा अपने फ़ेसबुक पन्ने पर पोस्ट किया है।पेश हैं अनुवादित अंशहम 12 बजे गुवाहाटी के लिए विमान में सवार हुए। उन्होंने गहरे रंग का 'कलाम सूट' पहना हुआ था।हम ढाई घंटे की उड़ान के बाद शिलॉन्ग पहुँचे और एयरपोर्ट से कार से आईआईएम पहुँचने में ढाई घंटे और लगे।पाँच घंटे के इस सफ़र के दौरान हमने कई मुद्दों पर बात की। मैंने पिछले छह सालों के दौरान डॉक्टर कलाम के साथ सैकड़ों यात्राएं की हैं।हमने इस बात पर चर्चा की कि यदि हिंसा, प्रदूषण और मनुष्यों की लापरवाहियां यूं ही चलती रहीं, तो कैसे मानवों को धरती छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।


उन्होंने कहा, "यदि ऐसा ही चलता रहा तो संभवतः तीस साल लगेंगे।।तुम लोगों को इस बारे में कुछ करना चाहिए। ये तुम्हारे भविष्य की दुनिया का सवाल है।"संसद में हंगामों पर चिंतितबातचीत का दूसरा विषय भी एक राष्ट्रीय मुद्दा था। पिछले दो दिनों से डॉक्टर कलाम इस बात को लेकर चिंतित थे कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा संस्थान संसद एक बार फिर काम नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने कहा, "मैंने अपने कार्यकाल में दो अलग-अलग सरकारें देखीं और उसके बाद भी कई सरकारें देखीं। काम में ये दखल होता ही रहता है। ये सही नहीं है। मुझे कोई ऐसा रास्ता निकालना ही होगा कि संसद विकास की राजनीति पर काम करे।"इसके बाद उन्होंने मुझसे आईआईएम शिलॉन्ग के छात्रों के लिए एक प्रश्न तैयार करने के लिए कहा। ये उन्हें लेक्चर के बाद दिया जाना था।अगले डेढ़ घंटे की यात्रा के दौरान उन्होंने मुझे तीन बार याद दिलाया कि मैं हाथ का इशारा करके उससे बैठने के लिए कहूं।लेकिन अंततः उन्हें लग गया कि इस बारे में हम कुछ नहीं कर सकते और उन्होंने कहा कि मैं उससे मिलना चाहता हूँ और शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ।जब हम आईआईएम शिलॉन्ग पहुँचे तो मैंने सुरक्षा अधिकारियों से उस जवान के बारे में पूछा। जब वो मुझे मिल गया तो मैं उसे अंदर ले गया।डॉक्टर कलाम ने उसका हाथ मिलाकर अभिवादन किया और शुक्रिया कहते हुए पूछा कि तुम थक तो नहीं गए हो, क्या तुम कुछ खाना चाहोगे।डॉक्टर कलाम ने उससे कहा, "मैं माफ़ी चाहता हूँ मेरी वजह से तुम्हें इतनी देर खड़ा रहना पड़ा।"

उस जवान ने बस इतना ही कहा, "सर आपके लिए तो छह घंटे भी खड़े रहेंगे।"अंतिम शब्दइसके बाद हम लेक्चर हॉल में पहुँचे। वो लेक्चर के लिए लेट नहीं होना चाहते थे।वो अक़्सर पूछते थे, "तुम युवा हो, तय करो कि तुम कैसे याद किया जाना चाहते हो।"मैं कोई प्रभावशाली जवाब सोचता रहता और एक दिन मैंने ही उनसे सवाल कर दिया कि पहले आप बताए कि आप कैसे याद किया जाना चाहोगे। राष्ट्रपति, वैज्ञानिक, लेखक, मिसाइलमैन, इंडिया 2020 या लक्ष्य थ्री बिलियन के लिए?मुझे लगा कि मैंने विकल्प देकर सवाल आसान कर दिया है लेकिन उन्होंने मुझे चकित कर दिया।उन्होंने कहा, "एक शिक्षक के रूप में।।"

Posted By: Satyendra Kumar Singh