दक्षिण कोरिया: बुढ़ापे में भी यौनकर्म के लिए मजबूर
किम यून-जो सियोल के जोंगनो-3 सबवे स्टेशन की सीढ़ियों पर बैठी हैं. उनकी उम्र 71 साल है और वो चमकीली लिपस्टिक लगाए हैं और चमकीला लाल कोट पहने हुए हैं.उनके बड़े बैग से कांच की बोतलों के आपस में टकराने की आवाज़ आ रही है.किम दक्षिण कोरिया की "बैकस लेडीज़" में एक हैं यानी ऐसी वृद्ध महिला जो पुरुष ग्राहकों को लोकप्रिय बैकस (एक तरह की शराब) एनर्जी ड्रिंक बेचकर अपनी ज़िंदगी चलाती है.लेकिन अकसर वो सिर्फ़ इन बोतलों को ही नहीं बेचती हैं. एक ऐसी उम्र में जब कोरियाई दादियों को कुल माता के रूप में सम्मानित किया जाना चाहिए, उनमें से कुछ को अपना जिस्म बेचना पड़ रहा है.
उन्होंने मुझसे कहा, "आप वहां खड़ी बैकस महिलाओं को देख रहे हैं? ये महिलाएं बैकस के अलावा भी कुछ बेचती हैं. वो कभी-कभी दादा की उम्र के लोगों के साथ जाती हैं और उनसे पैसे कमाती हैं. लेकिन मैं उस तरह नहीं रहती."उन्होंने बताया, "जब मैं गली में खड़ी रहती हूं तो पुरुष प्रस्ताव देते हैं, लेकिन मैं हमेशा कहती हूं, 'नहीं'."उत्सुकता
एक अन्य 81 वर्षीय पुरुष ने बताया कि "वहां खड़ी महिलाओं में हम गर्लफ़्रेंड तलाश सकते हैं. वो हमसे अपने साथ खेलने के लिए कहेंगी. वो कहेंगी, "ओह! मेरे पास पैसा नहीं है. और फिर वो हमारे साथ चिपक जाएंगी. उनके साथ सेक्स करने का ख़र्च क़रीब 20000 से 30000 वॉन (क़रीब 1,100 से 1,700 रुपए) तक होता है, लेकिन अगर वो आपको जानती हैं तो कभी-कभी वो आपको छूट भी दे सकती हैं."दक्षिण कोरिया के ये बुज़ुर्ग देश की आर्थिक सफलता के शिकार हैं.उन्होंने अपनी बचत को अगली पीढ़ी में निवेश कर दिया. एक कन्फ्यूशियस समाज में सफल बच्चों को भी पेंशन का सबसे बढ़िया रूप माना जाता है.लेकिन यहां इस रुख़ में तेज़ी से बदलाव आया है और अब कई युवा लोग कहते हैं कि वो अपना ही ख़र्च नहीं उठा पा रहे हैं.ऐसे में जोंगमयो पार्क में इन पुरुषों और महिलाओं के पास कोई बचत नहीं है, वास्तविक पेंशन नहीं है और परिवार नहीं है. वो अपने ही शहर में विदेशियों की तरह हैं.किम कहते हैं, "जो अपने बच्चों पर निर्भर हैं वो मूर्ख हैं. हमारी पीढ़ी अपने माता-पिता के प्रति विनम्र थी. हम उनका सम्मान करते थे. आज की पीढ़ी अधिक शिक्षित और अनुभवी है, इसलिए वो हमारी नहीं सुनते हैं."मजबूरी
बैकस महिलाओं पर शोध करने वाली डॉक्टर ली हो-सुन के मुताबिक़ ज्यादातर बैकस महिलाओं ने वृद्धावस्था में ग़रीबी के चलते सेक्स का कारोबार शुरू किया.वो बताती हैं कि एक महिला ने तो 68 साल की उम्र में वेश्यावृत्ति शुरू की. वो बताती हैं, "एक बैकस महिला ने मुझसे कहा कि मैं भूखी हूं, मुझे सम्मान की ज़रूरत नहीं है, मैं सिर्फ़ दिन में तीन वक़्त का खाना चाहती हूं."पुलिस यहां गश्त तो करती है, लेकिन कोई गिरफ़्तारी नहीं होती लेकिन समस्या सिर्फ़ क़ानून को लागू करने की नहीं है.बैकस महिलाएं अपने बैग में छिपी हुई बीमारी को लेकर भी चल रही है. इन महिलाओं के पास यौन उत्तेजना के लिए विशेष इंजेक्शन होता है और 10 से लेकर 20 बार एक ही इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में कई तरह की बीमारियां भी फैल रही हैं.इस तरह दक्षिण कोरिया के हाई-टेक समाज में बुज़ुर्गों के लिए खाना महंगा है, सेक्स सस्ता है और आत्मीयता तो उन्हें किसी भी क़ीमत पर मुश्किल से ही उपलब्ध है.