The Girl on the Train Review: इस बोरिंग ट्रेन में ना ही चढ़ें तो बेहतर है, जानें इसकी वजह
फिल्म : द गर्ल ऑन द ट्रेन
कलाकार : परिणीति चोपड़ा, कीर्ति कुल्हाड़ी, अदिति राव हैदरी,अविनाश तिवारी
निर्देशक : रिभू दासगुप्ता
ओ टी टी चैनल : नेटफ्लिक्स
रेटिंग : दो स्टार
क्या है कहानी
मीरा( परिणीति चोपड़ा) एक वकील है। एक दुर्घटना में वह अपने बच्चे और पति को खो चुकी है। इसके बाद वह एमनिसिया बीमारी से ग्रसित हो चुकी है। उसे भूलने की बीमारी है। वह शराब में डूबी रहती है। इस बीच एक लड़की जिसका नाम नुसरत ( अदिति राव) है, वह और मीरा करीबी हो जाती हैं। मीरा उस लड़की से एक निर्धारित रूट में चलने वाली ट्रेन में ही मिलती रहती है। अचानक नुसरत की हत्या जो जाती है। शक की सुई मीरा पर मुड़ती है। अब इसकी गुत्थी सुलझाते हुए कहानी उलझती जाती है और जितनी स्पीड से यह ट्रेन भागती है, उतनी ही गति से आप बोर होते जाते हैं। तो बेहतर है कि इस बोरिंग और उलझी ट्रेन में ना ही चढ़ें तो बेहतर है।
कलाकारों का अभिनय और सिनेमेटोग्राफी अच्छी है।
क्या है बुरा
बहुत ही बोरिंग और उलझी हुई कहानी है। इवेंट्स भी जबरदस्ती के खींचे हुए हैं। निर्देशक ने लीड किरदार को शुरू से मजबूती से दर्शाया है, लेकिन उन्होंने बाकी किरदारों को तवज्जो नहीं दिया है। सस्पेंस जैसा तो कुछ है ही नहीं।
परिणीति चोपड़ा ने शानदार अभिनय किया है। अबतक की उनकी फिल्मों में उन्हें इस फिल्म में अलग तरह का काम करने का मौका मिला है। अदिति के लिए खास करने को कुछ नहीं था। कीर्ति ने पुलिस की भूमिका अच्छी तरह से निभाई है। वह सशक्त कलाकार के रूप में नजर आती हैं। अविनाश तिवारी एक अच्छे कलाकार हैं, लेकिन उनकी क्षमता का अच्छा उपयोग नहीं किया गया है। वर्डिक्ट
जिन्होंने भी अंग्रेजी फिल्म देख रखी है, वह इस फिल्म से निराश ही होंगे। Review By: अनु वर्मा