जॉन उन सैकड़ों लोगों में शामिल है जिन्हें सितंबर 11 के काउंटर टेररिज्म के बाद सीआईए के सैकड़ों लोगों में शामिल किया गया. 2003 में जब जॉन ने काउंटर टेररिज्म ज्वॉइन किया उसके बाद से ही उसने टेररिज्म के खिलाफ जंग तेज कर दी थी. इस जंग में उसने कई टेररिस्ट को पकड़वाया.


ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद व्हाइट हाउस ने एक फोटो रिलीज की. इसमें प्रेसीडेंट ओबामा और उनकी कैबिनेट के वे साथी दिखाई दिए जिन्होंने मिशन ओसामा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मगर इन लोगों से अलग भी एक शख्स है जिसने ओसामा को उसके अंजाम तक पहुंचाने में मदद की. उसने अपनी जिंदगी के लगभग दस साल सिर्फ ओसामा की तलाश में ही निकाल दिए.Confident


सीआईए के काउंटरटेररिज्म यूनिट में काम कर रहे जॉन ने 10 साल तक ओसामा के ऊपर रिसर्च की और उसे ढूंढने की कोशिश की. जॉन की टीम ने लास्ट इयर बिन लादेन के एक कुरियर को ढूंढ निकालने के बाद सीआईए चीफ लियोन पेनेटा को एक मेमो लिखा. इस मेमो में उसने अपनी फाइंडिंग्स डिस्क्राइब की और सीआईए को पुश करना शुरू किया कि वो लादेन को पकडऩे के लिए स्टेप लेना शुरू करें. जबकि अमेरिकन ऑफिशियल्स इस बारे में बिलकुल भी श्योर नहीं थे कि उस कंपाउंड के अंदर टेररिस्ट ओसामा बिन लादेन ही है.

जॉन ने बताया कि वो 80 परसेंट श्योर था. उसने अपनी फाइंडिंग्स के बारे में ओबामा को भी ब्रीफ किया था. जॉन ही एक अकेला व्यक्ति था जिसने कांफिडेंटली ओबामा को बोला था कि बिन लादेन एबटाबाद के उसी कंपाउंड में मौजूद है, जहां उसे मारा गया था.ओसामा था mission जॉन उन सैकड़ों लोगों में शामिल है जिन्हें सितंबर 11 के काउंटर टेररिज्म के बाद सीआईए के सैकड़ों लोगों में शामिल किया गया. 2003 में जब जॉन ने काउंटर टेररिज्म ज्वॉइन किया उसके बाद से ही उसने टेररिज्म के खिलाफ जंग तेज कर दी थी. इस जंग में उसने कई टेररिस्ट को पकड़वाया.2001 में जब यूएस के हाथों से बिन लादेन तोरा बोरा के पहाड़ों में कहीं खो गया तो सीआईए को लगा कि वह कहीं पाकिस्तान के ट्राइबल एरिया में शरण लेकर बैठा है. 2006 में भी लादेन को ढूंढने के लिए ऑपरेशन कैननबॉल चलाया गया, लेकिन वो भी उसके ठिकाने को ढूंढने में असफल रहा.

सीआईए अपने लोगों को बहुत ज्यादा समय तक एक जगह पर नहीं रखते और उन्हें एक जगह से दूसरे जगह भेजते रहते हैं. जॉन ने कभी भी अपनी जगह छोडऩे की चाह नहीं रखी. उसको प्रमोशन के भी ऑफर दिए गए कि वह पाक छोड़ दे, लेकिन वह नहीं माना. जॉन लादेन की फाइल अपने पास रखना चाहता था. उसने लादेन की लाइफ को एग्जामिन और रिएग्जामिन किया. सब कुछ जाना कि वह सूडान में कहां छिपा. या फिर कांधार में उसने अपको किसके साथ सराउंड कर रखा था. आज वो कहां है.हमेशा रहा चर्चा मेंएक फॉर्मर सीआईए बॉस ने कंफेस किया कि उन्हें नहीं पता था कि जॉन की पोजीशन क्या है. वह किस रैंक पर था. क्योंकि वो जो काम कर रहा था वो बहुत ही  कम लोग कर पाते थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने हमेशा अपने लोगों के बीच में उसके बारे में सुना था. जब वे लोग लादेन को ढूंढ निकालने के लिए पाक बॉर्डर पर मिसाइल अटैक्स कर रहे थे, उस समय भी जॉन ने यही कहा था कि यह अटैक पाकिस्तान के अंदरुनी इलाके में किए जाने चाहिए. वही हुआ भी जब अमेरिका ने पाकिस्तान के अंदरूनी इलाके में अटैक करने शुरू किए तो अलकायदा का नंबर तीन ऑफिशियल मुस्तफा मारा गया.Favourable result
जॉन की टीम लगातार इसी तरह से काम करती रही और अंत में उन्होंने अगस्त 2010 में ओसामा के एक कुरियर का पता लगा लिया. कुरियर का पता लगते ही जॉन ने एक मेमो प्रीपेयर किया जिसमें लादेन की फाइंडिंग के बारे में लिखा. यह मेमो हॉट टॉपिक बन गया. लियोन पेनेटा ने ओबामा को बताया और उसके बाद से ओसामा पर मिशन साधा गया. उसमें यह सभी जानकारियां थीं कि ओसामा जिस कंपाउंड में रहता है वहां पर इंटरनेट की सुविधा नहीं है. पेनेटा ने जॉन के साथ रुगुलरली मीटिंग भी कीं और हमेशा जानने की कोशिश की वह कैसे जानता है कि लादेन उस कंपाउंड में है. जॉन के कांफिडेंस को देखते हुए प्रेसीडेंट ने डिसाइड किया कि नेवी सील को कंपाउंड में भेजा जाएगा. फिर जब 40 मिनट तक कंपाउंड में चले रिजल्ट सामने आए तो वो ओसामा की मौत के रुप में थे.

Posted By: Divyanshu Bhard