सियाचिन ग्‍लेशियर में 18 सालों पहले गुम हुआ हवलदार गया प्रसाद का शव आज 21 अगस्‍त को मैनपुरी में उनके गांव पहुंचा तो पूरा गांव इस सिपाही के सम्‍मान में जुट गया. इसके बाद इस जवान को पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार के साथ विदा किया गया. गौरतलब है कि इतने लंबे समय तक सियाचीन की बर्फ ने इस सिपाही के शरीर को संभाल कर रखा हुआ था.


गांव पहुंचा 18 साल पहले गुम हुआ सिपाहीभारतीय सेना के हवलदार गया प्रसाद वर्ष 1996 में सियाचिन की बर्फीली पहाडि़यों में भारत की चौकियों की रक्षा कर रहे थे. इसी दौरान वे एक गहरी खाई में जा गिरे. इसके बाद आर्मी ने उन्हें ढूंढ़ने की जी-तोड़ कोशिश की लेकिन उनके जिंदा होने या मर जाने के कोई सुबूत नही मिले. अपने जवान को काफी ढूंढ़ने के बाद आर्मी ने यह माना कि इतने कठिन एनवॉयरमेंट में उनकी मृत्यु हो गई होगी. इसलिए 1999 में गया प्रसाद को ऑपरेशन मेघदूत में शहीद घोषित कर दिया गया. इसके साथ ही गया प्रसाद के परिवारवालों को आर्मी चीफ के सिग्नेचर वाला सम्मान प्रमाणपत्र मिला. गश्त के दौरान मिला गया प्रसाद का शव
शहीद हवलदार का बर्फ से ढका शव भारती भारतीय सिपाहियों को उस वक्त मिला जब वे उत्तरी ग्लेशियर के खंडा और डोलमा पोस्ट में गश्त कर रहे थे. इसके बाद उनके शव को स्नो स्कूटर तक उस स्थान तक लाया गया जहां से उन्हें एयरलिफ्ट किया जा सके. चिट्ठी से हुई पहचान


हवलदार गया प्रसाद के शव से एक चिट्ठी मिली है. इस चिट्ठी में गया प्रसाद की पोस्ट, उनकी बटालियन आदि जानकारियां अवेलेबल थीं जिससे उनके परिवार आदि के बारे जानकारी जुटाना काफी आसान हो गया. इस बारे में प्रसाद के मित्र सूबेदार मेजर बादशाह सिंह ने बताया कि लखनऊ कैंटोनमेंट के राजपूत रेजीमेंट के हेडक्वार्टर को इस बारे में सूचना दे दी गई थी कि गया प्रसाद के परिवार को सूचित कर दिया जाए.

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Posted By: Prabha Punj Mishra