बचपन के प्यार के लिए 17वें करमापा ने छोड़ा संन्यास, जानें तिब्बत के इस बड़े धर्म गुरु की परंपरा
तीन साल बड़ी दोस्त से रचाई शादीप्रेम एक ऐसा अहसास है जो किसी को भी कभी भी हो सकता है। ऐसी ही कहानी तिब्बती करमापा लामा 33 वर्षीय थाये दोरजे की है। उन्होंने अपनी बचपन की दोस्त से शादी करने के लिए भिक्षु का पद त्याग दिया और संन्यास छोड़कर गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया। थाये दोरजे ने अपनी बचपन की दोस्त 36 वर्षीय रिंचेन यैंगजोम से शादी कर ली। जब थाये दोरजे 18 महीने के थे, तब से लोगों ने उनको करमापा लामा कहना शुरू कर दिया था। उनका यह पुनर्जन्म बताया जा रहा है। कुछ बौद्ध अनुयायी थाये दोरजे के प्रतिद्वंदी उर्गयेन त्रिनली को करमापा लामा मानते हैं। त्रिनली को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का भी समर्थन हासिल है। इस उपाधि को लेकर अदालत में मुकदमेबाजी तक हो चुकी है।
17वें करमापा थाये दोरजे का जन्म 6 मई 1983 को हुआ था। तिब्बती बुद्धिज्म के चार सबसे बड़े स्कूलों में से एक कर्म काग्यू में साल 1994 में थाये दोरजे को 17वां कारमापा बनाया गया था। तब उनकी उम्र 11 साल थी। दोरजी सेंट्रल तिब्बत में पैदा हुए थे, लेकिन उनकी सारी जिंदगी भारत में गुजरी है। उनकी पत्नी रिंजन का जन्म भूटान में हुआ था। उनके पिता बिजनेसमैन हैं और मां हाउसमेकर हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई भूटान में ही हुई थी, लेकिन उनका भी अधिकतर वक्त भारत और यूरोप में बीता है। दोनों की मुलाकात भी भारत में हुई थी। बौद्ध भिक्षुओं का शादी करना कोई सामान्य बात नहीं है। दोरजी ऐसा करने वाले भले पहले व्यक्ति न हों, लेकिन आपने शायद पहली बार ऐसा कोई मामला सुना होगा। कर्म काग्यू के 15वें करमापा ने भी शादी रचाई थी।