दो देशों में तनाव की वजह बना 'कचरे का समंदर'
विशालकाय कचरे का तैरता हुआ ये ज़खीरा फिलहाल इन दोनों देशों के बीच तनाव की वजह बना हुआ है।
हालांकि, ये कोई नई बात नहीं है लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इसके बारे में कम ही जानकारी है। कुछ सप्ताह पहले ही कचरे के इस तैरते ज़खीरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं।ब्रितानी फोटोग्राफ़र कैरोलाइन पावर ने रोआटन पर्यटक द्वीप के नज़दीक समुद्र की कुछ तस्वीरें प्रकाशित की हैं जो कचरे की एक तैरती परत से पूरी तरह ढका नज़र आता है।उन्होंने बीबीसी को बताया, "बरसात के मौसम में हम सवेरे उठ कर कचरा साफ़ करते हैं और दोपहर तक फिर से किनारे पर कचरा आ जाता है। अगर हमने कुछ नहीं किया तो ये इकट्ठा होता रहता है और हर जगह बस कचरा ही कचरा नज़र आता है।"
फोन्सेका कहते हैं कि इससे पहले कि नगरपालिका के अधिकारी कचरा साफ़ करें, ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी जगह को साफ़ रखें।
वो कहते हैं, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि ये जो यहां आ रहा है वो कचरा है जो अपने साथ बीमारियां लाता है। मुझे नहीं पता कि ये कचरा कौन डाल रहा है- होंडुरास या ग्वाटेमाला, लेकिन हमारे लिए ये किसी बुरे सपने के जैसा है।"एक ऐसा देश जहां आप ही नहीं स्विट्जरलैंड वाले भी रहना चाहते हैं! ये हैं खूबियां... मंत्री गोल्डेम्स का कहना है कि मौजूदा कचरे के ज़खीरे के पीछे कारण है मोटागुआ नदी जिसका अधिकांश हिस्सा ग्वाटेमाला से होकर बहता है और ये नदी होंडुरास में आकर ख़त्म हो जाती है।नवो कहते हैं, "मोटागुआ के अधिकांश हिस्सा ग्वाटेमाला में है। नदी के किनारे वहां की 95 नगरपालिकाएं हैं जिनमें से 27 नगरपालिकाएं अपना ठोस कचरा नदी में डालती हैं। हमारी केवल 3 नगरपालिकाएं नदी से जुड़ी हैं। नदीं में आने वाला 86 फ़ीसदी कचरा ग्वाटेमाला से आता है।"आधिकारियों का कहना है कि जब उनके मंत्रालय ने कचरे का निरीक्षण किया तो पाया कि कचरे में जो वस्तुएं हैं वो आमतौर पर "मेड इन ग्वाटेमाला" के टैग के साथ मिली हैं।
लेकिन वो कहते हैं कि इतना काफ़ी नहीं है। वो कहते हैं, "हमें कचरे में कपड़े, प्लास्टिक, अस्पताल का कूड़ा, खून, सिरींज की सुईयां, जानवरों और यहां तक कि इंसानों के शव भी मिले हैं।"
मंत्री गोल्डेम्स का कहना है कि पूरे ग्वाटेमाला में कचरे के लिए गड्ढे नहीं हैं तो ऐसे में बरसात के मौसम में पानी के साथ कचरा बह कर नदी में आ जाता है और नदी के रास्ते ये समुद्र में पहुंच जाता है। ये कचरा फिर समुद्री लहरों के साथ बह कर किनारे तक आ लगता है।उन्होंने बीबीसी को बतया, "वो आरोप लगा रहे हैं और केवल ग्वाटेमाला का पक्ष ही बता रहे हैं। लेकिन उन्हें ये सोचना होगा कि वो क्या कर रहे हैं। उनके देश में एक नदी है- कमीलिकॉन और ऊला नदी जो कचरे से भरे नाले
की तरह है। रोआटन तक पहुंचने वाला अधिकतर कचरा होंडुरास से आ रहा है।"सैमुएल्स कहते हैं कि उनकी सरकार को नदी में मिल रहे मानव शवों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।वो कहते हैं, "मैंने कभी भी मानव शवों के बारे में कुछ नहीं सुना। अगर ऐसा है तो इसकी जांच होनी चाहिए कि ये शव कहां से आ रहे हैं। मैंने इनके बारे में नहीं सुना।"वो कहते हैं, "हम मानते हैं कि हमारी मोटागुआ नदी कैरीबियाई सागर को प्रदूषित कर रही है। लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि होंडुरास की कमीलिकॉन और ऊला नदी भी कचरा समंदर कर पहुंचा रही हैं। मैं आपको इसबात का आश्वासन दे सकता हूं कि अगले साल से हम समुद्र में कचरा नहीं बढ़ाएंगे क्योंकि हमारे पास ज़रूरी बुनियादी सुविधाएं हैं।"वो कहते हैं, "होंडुरास में ऐसे कई समुदाय हैं जहां कचरा इकट्ठा करने के लिए एक ट्रक तक की सुविधा नहीं है। लोग नदियों में कचरा डाल देते हैं और यहां बहने वाली 80 फीसदी नदियां कैरीबियाई सागर में जाकर मिलती हैं।
दूसरे पर किसी बात के लिए आरोप लगाना बेहद आसान है, मुझे लगता है कचरे की समस्या किसी एक की नहीं बल्कि हर किसी की है।"दोनों देशों के बीच, कचरा कौन फैला रहा है, के मुद्दे को लेकर तनाव जारी है और इस समस्या को सुलझाने पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पा रहा है।ट्रावेसिया में रहने वाले कार्लोस फोनसेका कहते हैं, "अब इस मामले में सर्दियां शुरू हो गई हैं। अब बारिश आएगी और हम जानते हैं कि समुद्र किनारे और भी कचरा आएगा।"International News inextlive from World News Desk