भारतीय क्रिकेट में 'विशी' के नाम से मशहूर क्रिकेटर गुंडप्पा विश्‍वनाथ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि जब-जब उन्‍होंने सेंचुरी लगाई है टीम इंडिया को जीत जरूर हासिल हुई है। 12 फरवरी 1949 को जन्‍में कनार्टक के गुंडप्पा विश्‍वनाथ ने मैदान पर हमेशा ताकत की जगह पर अपनी कलात्‍मक प्रतिभा को दर्शाया है। ऐसे में आइए इस खास दिन पर जानें इनके क्रिकेट करियर की कुछ खास बातें...


जब जीरो रन बनाये: दायें हाथ के इस बल्लेबाज़ ने 1967 में कर्नाटक की तरफ से रणजी ट्राफी के अपने डेब्यू मैच में यादगार दोहरा शतक लगाया था। वहीं अपने टेस्ट पदार्पण मैच की पहली पारी में इन्‍होंने जीरो रन बनाये थे, लेकिन इसी टेस्ट की अगली पारी में 25 चौकों की मदद से 137 रन की शानदार पारी खेली थी। भारत कभी नही हारा: इनके बारे में कहा जाता है कि जब भी इन्‍होंने शतक लगाया भारत हमेशा जीता है। हालांकि इनका पहला टेस्ट तो ड्रा हो गया था, लेकिन इसके बाद उन्होंने एक नहीं 13 शतक लगाए। जिसमे भारत एक भी मैच नहीं हारा। 91 टेस्ट मैचों में इन्‍होंने 6080 रन बनाये हैं।


गुंडप्पा को मुश्किल विकेटों का बल्लेबाज भी माना जाता रहा है। इन्‍होंने भारत के लिए छोटी अवधि 1979-80 में दो टेस्ट मैचों में कप्तानी भी की है। जिसमें पहला टेस्ट ड्रा हो गया था और दूसरा मैच इंग्लैंड के खिलाफ गोल्डन जुबिली टेस्ट के तौर पर खेला गया था। नए प्‍लेयर्स को मौका:

गुंडप्पा विश्‍वनाथ की खासियत रही है कि वे हमेशा साफ सुथरा खेल खेलने की कोशिश करते रहे हैं। इसके कई उदाहरण भी देखने को मिले हैं। इसके अलावा वह नए खिलाडियों को मौका देने की कोशिश में रहते थे। इसके लिए वह खुद –ब- खुद प्लेयिंग एकादश से बाहर हो जाते थे। सीके नायडू अवार्ड: विश्‍वनाथ को 2009 का सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। सन्यास के बाद भी ये आईसीसी रेफरी, भारतीय टीम के राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष, इंडियन क्रिकेट टीम के मैनेजर व राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोच के रूप जुड़े रहे।

Posted By: Shweta Mishra