एलओसी पार पाकिस्तान को उड़ी हमले का जवाब देकर भारतीय सेना ने एक साहस भरा काम किया है। इंडियन आर्मी के इन जांबाज पैराट्रूपर्स ने पाक में घुसकर आतंकियों को तबाह कर दिया है। इंडिया के ये पैराट्रूपर्स दुनिया के बेहतरीन पैराट्रूपर्स माने जाते हैं। इन्हें सीधी कार्रवाई आतंकवाद से निपटने के लिए विशेष रुप से तैयार किया जाता है। ऐसे में आइए जानें इंडियन आर्मी के ये पैराट्रूपर्स कैसे तैयार होते हैं...
पैरा मतलब स्पेशल फोर्स। इसमें शामिल होने के लिए सबसे पहले रेजीमेंट्स को पैराट्रूपर्स के लिए निर्धारित पहले चरण की प्रक्रियाओं को पूरा करना पड़ता है इसके बाद जो भी इसमें सेलेक्ट होते हैं उन्हें बाद में स्पेशल फोर्स की आगे की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। सभी इंडियन पैराट्रूपर्स यहां पर एक स्वयं सेवक के रूप में होते हैं।इसके बाद जो रेजीमेंट्स इन सभी प्रकियाओं को अच्छे से पूरा करता उसे अगले तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। कुल मिलाकर एक पैराट्रूपर्स को पूरे 6 महीने की ट्रेनिंग से गुजरना होता है। ट्रेनिंग के दौरान इन पैराट्रूपर्स को हवा में, पानी में और जंगल में घात लगाकर मारने की तकनीकि सिखाई जाती है।
नई सदी की शुरुआत में पैराशूट रेजीमेंट दो भागों में तैयार किए गए। जिसमें एक भाग में पैराशूट 3, 4, 5, 6 और 7पारंपरिक पैराशूट बल हुआ। वहीं दूसरे में 1 पैरा (एस एफ), 2 पैरा (एस एफ), 9 पैरा (एस एफ), 10 पैरा (एस एफ) और 21 वीं पैरा (एस एफ) यानी कि पांच पैराशूट स्पेशल फोर्स बनी।
10 पैरा (एस एफ) सबसे मुश्किल बटालियन होती है। यह सिर्फ रेगिस्तान युद्ध और उसके पार के सभी युद्धों के लिए प्रशिक्षित की जाती है। 21 पैरा (एस एफ) स्थायी रूप से उत्तर-पूर्व में स्थित है। इसे आतंकवाद विरोधी, जंगल युद्ध और गुरिल्ला युद्ध के लिए तैयार किया जाता है। इसके अलावा धोखे और चोरी छिपकर होने वाले हमलों से निपटने के लिए तैयार किया जाता है।
पैराट्रूपर्स के लिए अक्सर यह कहा जाता है कि इसमें शामिल होने वाले अपमान, थकावट, मानसिक और शारीरिक यातना से गुजरते हैं। एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है कि इनकी डेथ के कारण भी सबसे अधिक यही होते हैं। यहां पर संघर्ष बहुत ज्यादा है। इन्हें चौबीस घंटे से ज्यादा जागना पड़ता है।
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Posted By: Shweta Mishra