जंग से एकजुट हो रहा है एक प्राचीन समुदाय
पूर्वी तुर्की की ढलान पर बसे चर्च में अपने समुदाय को फिर से जीवंत बनाने के लिए फ़ादर जोएकिम भी पहुंच गए हैं.इन युवा पादरी ने 11 साल हॉलैंड में बिताए हैं.नुसायबिन की ढलानों में हाल ही में पुनर्निर्मित प्रार्थना स्थल में खड़े पादरी जोएकिम कहते हैं, “भगवान का शुक्र है कि हमारा समुदाय फिर से ज़िंदा हो गया है. रविवार को चर्च गांव के लोगों से पूरा भर जाता है.”तुर अब्दिनचर्च में हुए नवीनीकरण को देखकर मैंने उनसे कहा, “आपने इस जगह को पूरी तरह बदल दिया है. 1980 में जब मैं यहां आई थी तो कोई रास्ता नहीं बना हुआ था और पहाड़ी पर चढ़कर आने में एक घंटा लग गया था. छत पर सब्ज़ियां उग रही थीं और एक स्थानीय परिवार खंडहर में रह रहा था.”
वह कहते हैं, “हां. यह यज़्दियों ने किया है. पिछले महंत के जाने के बाद यहां आ गए थे और उन्होंने इस प्रार्थनास्थल की बहुत अच्छी तरह देखरेख की है.”
“उन्होंने पहाड़ की तलहटी तक तारकोल की नई सड़क के लिए पैसा दिया और बिजली के लिए भी. हमने सड़क को ऊपर तक लाने और नवीनीकरण के लिए पैसे दिए.”मैंने पूछा, “सरकार से इजाज़त लेना आसान नहीं रहा होगा.”उन्होंने कहा, “यह बहुत आसान था. हमें आधिकारिक रूप से दोबारा बुलाया गया था.”वह बताते हैं कि यूरोपीय संघ का दवाब तुर्की में नीतियों के बदलाव में कैसे काम कर रहा है, “अब नेता समझते हैं कि हमारा यहां रहना अच्छा है. हमारे समुदाय के रईस सदस्य यूरोप से लौट रहे हैं और अपनी ज़िंदगी की जमा पूंजी को निवेश कर रहे हैं.”वह कहते हैं, “ज़्यादा बड़ी दिक्कत कुर्द पड़ोसियों के साथ भूमि विवाद हैं. कई जगह वह हमारे चर्चों को अस्तबल की तरह इस्तेमाल करते हैं.”“साफ़ है कि हम अल्पसंख्यक हैं लेकिन स्थानीय सांसद हमारे समुदाय के ही एक ईसाई हैं. वह कुर्दिश दल का प्रतिनिधित्व करते हैं, हम उम्मीद करते हैं कि हम अपने मतभेद दूर कर लेंगे.”युद्ध से पुनर्जीवन
तुर अब्दिन के पार बहुत से उजाड़ हो चुके गांव अब फिर बस रहे हैं. न सिर्फ़ सीरियाई विसर्जित समुदाय के लोग यूरोप से लौट रहे हैं बल्कि सीरिया के सह-धार्मिक भी लोग आ रहे हैं.एक समय यहां सिर्फ़ 80 परिवार ही रह गए थे और अब करीब 150 हैं.सीरियाई कर्मचारियों वाली एक फ़ैक्ट्री सीरियाई अंगूरों के बाग से सीरियाई शराब भी बना रही है. यह शऱाब ऐतिहासिक शहरों मार्दिन और मिद्यात के बूटिक होटल में परोसी भी जा रही है.मैंने पूछा, “मिद्यात के बाहर एक ढंग एक शरणार्थी शिविर था. यह एकदम नया था लेकिन आधा खाली था.”फ़ादर जोएकिम कहते हैं, “यह सीरियाई ईसाइयों के लिए है. ज़मीन एक सीरियाई व्यापारी ने दान की थी. हमारी तरह उसे भी लगता है कि सीरिया से बहुत से सीरियाई ईसाई अपने परिवारों के साथ यहां आकर बसेंगे.”कौन सोच सकता था कि सीरिया में जंग के चलते तुर्की के पूर्वी किनारे में एक प्राचीन समुदाय फिर से एक हो जाएगा?शायद फ़ादर जोएकिम.