Syria faces a stark choice between a political solution to end 21 months of bloodshed or hell United Nations peace envoy Lakhdar Brahimi has warned.

संयुक्त राष्ट्र की तरफ से सीरिया के लिए चुने गए विशेष दूत लखदर ब्राहिमी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 21 महीने से जारी खूनखराबे को रोकने के लिए या तो लोग राजनीतिक समाधान को चुनें या फिर नरक को.

मॉस्को में रुस के विदेश मंत्री सर्गई लवरोव और लखदर ब्राहिमी में हुई बातचीत के बाद इस बात पर सहमति बनी कि सीरिया में जारी संकंट का समाधान बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है.

विशेष दूत ने मॉस्को में हुई बैठक के बाद कहा कि सीरिया में जारी लड़ाई सैन्य और सांप्रदायिक रुप लेती जारी रही है. साथ ही उनका कहना था विपक्ष की राष्ट्रपति बशर-अल असद को हटाने की मांग बातचीत की शर्त नहीं हो सकती. लखदर ब्राहिमी ने मॉस्को आने से पहले दमिश्क में सीरिया के राष्ट्रपति असद से मुलाकात की और लड़ाई पर चिंता जताई.

परिणाम

उनका कहना था, ''सीरिया में सांप्रदायिक लड़ाई होने का खतरा है जिसके सीरिया के लोगों पर भयानक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं और इससे क्षेत्र में कोलाहल होने का भी खतरा है वो भी ऐसे समय में जब पड़ोसी लेबनान और जॉर्डन में शर्णाथियों की संख्या पहले ही ज्यादा है.''

लखदर ब्राहिमी के अनुसार, ''इसका विकल्प नरक है या राजनीतिक प्रक्रिया है और हमें इस राजनीतिक प्रक्रिया के लिए निरंतर काम करते रहना होगा.'' उनका कहना था कि फिलहाल गंभीर समस्या बनी हुई और वो कल भी बनी रहेगी, ऐसे में इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता.

ब्राहिमी इस संकंट की स्थिति में समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं. इसका आधार जून में हुए अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेस में स्वीकृती दी गई शांति योजना है लेकिन इसमें राष्ट्रपति असद की भूमिका अभी भी अस्पष्ट हैं.

दोनों ही नेताओं लवरोव और ब्राहिमी ने माना कि सीरिया में लड़ाई का समाधान बातचीत करके निकाला जा सकता है लेकिन दोनों में से किसी ने भी इस गतिरोध को खत्म करने के रास्ते का संकेत नहीं दिया.


Posted By: Garima Shukla