भारत में जहां हम स्‍वछता अभियान को लेकर लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। तो वहीं एक यूरापियन देश है जहां कचरे की कमी पड़ गई। हालात ये हैं अब कि दूसरे देशों से कूड़ा मंगवाया जा रहा है।


कचरे से बनती है बिजलीस्वीडन दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो कचरे से बिजली बनाता है। यहां पर जितनी बिजली की जरूरत है उसका आधा हिस्सा कूड़े से बनकर तैयार होता है। इसलिए स्वीडन में कूड़ा या कचरा कहीं भी इधर-उधर पड़ा नहीं मिलता। फिलहाल इस देश को रिसाइकलिंग प्लांट्स को चलाए रखने के लिए कचरे की जरुरत है, जो कि अब उसके पास खत्म होने के कगार पर है। स्वीडन ने ब्रिटेन समेत कई यूरोपीय देशों से संपर्क साधा है, ताकि उन्हें जरूरत के मुताबिक कूड़ा उपलब्ध हो सके।यह भी पढ़ें : चाकू-चापड़ से बाल काटता है ये नाई, वीडियो देख खड़े हो जाएंगे रोंगटेजैविक ईंधन पर भारी टैक्स
1991 में स्वीडन ने जैविक ईंधन के इस्तेमाल पर भारी टैक्स लगाया था, जिसके बाद से लोग धीरे-धीरे प्रकृतिक ऊर्जा साधनों और रीसाइकलिंग पर जोर देने लगे। स्वीडन के लोग प्रकृति के महत्व को समझते हैं और उसी को ध्यान में रखकर चीजों का इस्तेमाल करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वीडन के घरों में सिर्फ 1 प्रतिशत कचरा ही फेंका जाता है। उन्हें कचरे के सही इस्तेमाल का तरीका बताया जाता है। वहां निजी कंपनियां कचरा निर्यात और जलाने को काम देखती है। स्वीडन में कचरे से ऊरंजा का निर्माण किया जाता है, जिससे पैदा हुई ऊर्जा नेशनल हीटिंग नेटवर्क में जाती है, जिससे कड़ी ठंड के दिनों में घरों में बिजली पहुंचाई जाती है।यह भी पढ़ें : सुअर ने पैदा किया बंदर का बच्चाWeird News inextlive from Odd News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari